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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं-१९, उदेसो-३ पुढविक्काइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स य कयरे काये सव्वावादरे कवरे काये सव्ववादरतराए गोयमा वणस्सइकाए सव्ववादरे वणस्सइकाए सव्वबारतदराए एयस्स णं मंते पुढविकाइयस्स आउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काए सव्ववादरे कयरे काए सव्ववादरतराए गोयमा पुढविक्काए सव्वबादरे पुढविक्काए सबबादरतराए एयरसणं भंते आउक्काइयस्स तेउक्काइयस्स वाउकाइयस्स यकयरे काए सव्वबादरे कयरे काए सव्ववादरतराए गोयमा आउक्काए सव्वबादरे आउक्काए सब्बबादरत-राए एयस्सणं भंते तेऽकाइयस्स दाउकाइयस्स य कयरे काए सव्यबादरे कयरे काए सन्यवादरतराए गोयमा तेउकुकाए सव्वबादरे तेउक्काए सव्ववादरतराए केमहालए णं भंते पुढविसरे पन्नते गोयमा अनंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमवाउ सरीरे असंखेजाणं सुहुमवाउसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहमतेउसीरे असंखेजाणं सुहमतेउकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमे आउसरीरे असंखेजाणं सुहुमआउक्काइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुपे पुढविसरीरे असंखेनाणं सुहुमपुढविकायइसरीराणं जावइया सरीरा से एगे बादरवाउसरीरे असंखेजाणं बादरवाउक्काइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरतेउसरीरे असंखेनाणं बादरतेउकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरआउसरीरे असंखेन्त्राणं बादरआउकाइयाइणं जावइया सरीरा से एगे बादरपुढयिसरीरे एपहालए णं गोयपा पुढविसरीरे पन्नते।६५३।-652 (७६४) पुढविकाइयस्स णं भंते केमहालिया सरीरोगाहणा पत्रत्ता गोयमा से जहानामए रण्णो चाउरंतचक्कवहिस्स वण्णगपेसिया तरुणी बलवं जुग जुवाणी अप्पायंका {थिरगहत्था दढपाणि-पाय-पास-पिटुतरोरुपरिणता तलजमलजुयल-परिघनिभशहू उरस्सवलसमण्णागया लंघण-पवण-जइण-वायाम-समत्या छेया दिकका पत्तहा कुसला मेहावी निउणा निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिक्खेणं वइरामएणं वट्टावरएणं एगं महं पुढविकाइयं जतुगोलासमाणं गहाय पडिसाहरिय-पडिसाहरिय पडिसंखिविय-पडिसंखिविय जाव इणामेवति कट्टतिसत्तक्खुतो ओप्पीसेजा तत्थ णं गोयमा अत्थेगतिया पुढविक्काइया आलिद्धा अत्थेगतिया पदविक्काइया नो आलिद्धा अत्यंगतिया संघट्टिया अत्यंगतिया नो संघट्टिया अत्यंगतिया परियाविया अत्धेतिया नो परियाविया अस्थगतिया उद्दविया अत्थेगतिया नोउद्दविया अत्यंगतिया पिट्ठा अत्यंगतिया नो पिट्ठा पुढविकाइयास णं गोयमा एहालिया सरीरोगाहणापन्नत्ता पुढविकाइए णं भंते अकंते समाणे कैरिसियं वेदणं पचणुभवमाणे विहरइ गोयमा से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे वलवं जुगवं [जुवाणे अप्पातंके घिरगहत्ये दढपाणि-पाय-पास-पिदंतरोरुपरिणते तलजमलजुयल-परिघनिभवाहू चम्मेदुग-दुहण-मुट्ठिय-समाहत-विचितगत्तकाए उरस्सबलसमग्णागए लंघण-जाव निउणे) निउणसिप्पोवगए एगे पुरिसं जुण्णं जरा-जजरिय-देहं [आउरं झूसियं पिवासियं] दुब्बलं किलंतं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहणेजा से णं गोयपा पुरिसे तेणं पुरिसेणं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहए समाणे केरिसियं वेदणं पच्चुणुभवमाणे विहरति अणिहूँ समणाउसो तस्सणंगोयमा पुरिस्स वेदणाहितो पुढविकाइए अक्कंते समाणे एत्तो अणितरियं चेव अकंतरियं अप्पियतरियं जाव अमणामतरियं चेव वेदणं पञ्चणुभवमाणे विहरइ आउयाए णं भले संघट्टिए समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणुरुभवमाणे विहरइ गोयमा जहा पुढविक्काइए एवं चेव एवं तेउयाए चि एवं वाउयाए विएवं वणस्सइकाए विजाव विहरइ सेयं भंते सेवं भंते ति।६५४1-655 .एगणवीसइमे सते तइओ उद्देशो सपत्तो. For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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