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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई - १९/-1३/७६१ उबट्टणा य जहा पन्नवणाए सेसं तं चेव वाउकाइयाणं एवं चेव नाणतं नयां-चत्तारि समुग्धाया, सिय मंते जाव चत्तारि पंच वणस्सइकाइया पुच्छा गोयमा नो इणट्टे समटे अनंता वणस्सइकाइया एगयओ साहारणसरीरं बंधति बंधित्ता तओ पच्छा आहारेति वा परिणामेति वा सरीरं वा बंधति सेसं जहा तेउकाइयाणं जाव उव्वति नयां-आहारो नियमं छद्दिसिं ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुतं उककोसेणं वि अंतोमुहत्तं सेसं तं चेव ।६५१,650 (७६२) एएसिणं भंते पुढविकाइयाणं आउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयाणं सुहमाणं वादराणं पञ्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं जहण्णुक्कोसियाएओगाहणाए कयरे कयरहितो (अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा] विसेसाहिया वा गोयमा सव्वस्थोवा सुहमनिओवस्स अपनत्तगस्स जहणिया ओगाहणा सुहुमवाउकाइयस्सअपञ्जत्तगस्सजहणिया ओगाहणा असंखेनगुणा सुहुमतेउकाइयस्स अपनत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेनगुणा सुहमआउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहण्णिवा ओगाहणा असंखेजगुणा सुहमपुढविक्काइयस्स अपनत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेनगुणा बादरवाउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेनगुणा बादरतेउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेनगुणा दादरआउकाइवस्स अपनत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेनगुणा बादरपुढविकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेनगुणा बादरपुढविकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइयस्स यादरनिओयस्स एएसि णं पज्जत्तगाणं एएसि णं अपनत्तगाणं जहणिया ओगाहणा दोण्ह वि तुल्ला असंखेनगुणा तस्सेय अपजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिय तस्स चेव पद्धत्तगस्स उककोसिया ओगाहणा विसेसाहिया सुहुपवाउकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा तस्स चेव अपनत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया तस्स चेव पजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया एवं सुहुमतेउक्काउइयस्स वि एवं सुहमआउकूकाइयस्स वि एवं सुहमपुढविकाइयस्स वि एवं बादरवाउकाइयस्स वि एवं बादरतेउकाइयस्स वि एवं बादरआउकाइयस्स दि एवं वादरपुढविकाइयस्स वि सव्वेसि तिविहेणं गमेणं भाणियव्यं बादरनिगोयस्स पजतगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेनगुणा तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उककोसिवा ओगाहणा विसेसाहिया तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगणा तस्स चेव अपजत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा असंखेनगुणा तस्स चेव पनत्तगस्स रक्कोसिया ओगाहणा असंखेनगुणा ।६५२।-651 (७६३) एयरस णं भंते पुढविकाइयस्स आउकाइउयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स य कयरे काए सव्वसुहमे कयरे काए सव्वसुहुमतराए गोयमा वणस्सइकाए सव्वसुहुमे वणस्सइकाए सव्वसुहुमतराए एयस्सणंभंते पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काये सव्वसहमे कयरे काये सव्वसहमतराए गोयपा वाउकाए सव्यसुहमे चाउकाए सव्वसुहुमतराए एयस्सणं भंते पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउक्काइयस्सय कयरे काये सव्वसुहमे कयरे काये सव्वसुमतराए गोयमातेउकाए सव्व सुहमे तेउक्काए सव्वसुहुमतराए एयस्सणं भंते पुढविक्काइयस्स आउक्काइयस्स य कयरे काये सच्यसुहुमे कवरे काये सब्बसुहुमतराए गोयपा आउक्काए सव्वसुहमे आउक्काए सव्वसुहमतराए एयस्स णं मंते For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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