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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नवमं सतं उद्देो-३२ - www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसतमाए वा होजा अहवा एगे रयणप्पभाए संखेला सक्करम्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा आहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयणप्पमाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिण्णि रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करम्पभाए होजा एवं एएणं कमेणं एक्केक्को संचारेयव्वो जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा संखेज्जा रयगप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे सक्करम्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा एवं जहा रयणम्पभा उवरिमपुट- वीहिं समं चरिया एवं सक्करष्पभा वि उवरिमपुढवीहिं समं चारेयव्वा एवं एक्केक्का पुढवी उवरिमपुढवीहिं समं चारेयव्वा जाव अहवा संखेज्जा तमाए संखेजा अहेसत्तमाए होज्जा - १९५ अहवा एगे रयप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखेजा वालुयप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करम्पभाए संखेजा पंकप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकूकरप्पभाए संखेज्जा असत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पमाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहदा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पाभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होजा एवं एएणं कमेणं एक्केक्को संघारेय व्यो सक्करप्पभाए जाव अहवा एगे रयणप्पमाए संखेज्जा वालुयप्पमाए संखेज्जा असत्तमाए होजा अहवा दो रयणप्पभाए संखेचा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होला जाव अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा तिणि रयणप्पभाए संखे जा सक्करप्पभाए संखेजा बालुयप्पमाए होजा एवं एएणं कमेणं एक्केक्को रयणम्पभाए संचारेयव्वो जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करपभाए संखेजा वालुवप्पभाए होजा जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेच्या सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होया अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेजा पंकप्पघाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणष्पभाए दो वालुयप्पभाए संखेजा पंकप्पभाए होजा एवं एएणं कमेणं तियासंजोगो चउक्कसंजोगो जाव सत्तगसंजीगो य जहा दसहं तहेव भाणियव्वो पच्छिमो आलावगो सत्तसंजोगस्स अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करम्पपाए जाय संखेज्जा अहेसत्तमाए होजा असंखेजा भंते नेरइया नेरइयम्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पमाए होजा- पुच्छा, गंगेया रयणप्पमाए या होजा जाब अहेसत्तमाए या होजा अहवा एगे रयणप्पभाए असंखेजा सक्करम्पाए होज्जा एवं दुयासंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा संखेखाणं भणिओ तहा असंखेजाण वि भाणियव्वो नवरं असंखेज्जओ अब्महिओ भाणियव्यो सेतं तं चैव जाय सत्तगसंजोगस्स पच्छिमो आलावगी अहवा असंखेज्जा रयणप्पभाए असंखेज्जा सक्करप्पभाए जाव असंखेजा अहेसत्तमाए होज्जा, उक्कोसेणं भंते नेरइया नेरइयप्पवेसगएणं पविसमाणा किं रयणप्पमाए होज्जा- पुच्छा, गंगेया सव्वे वि ताव रयणप्पमाए होज्जा अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए य वालुयप्यमाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पमा य असत्तामाए य होजा अहवा रयगप्पमाए य सक्करप्पभाए य वालुयप्पभाए य होना एवं जाव For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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