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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९६ भगवई - ९/-/३२/४५३ अहदा रयणप्पभाए य सक्करम्पभाए य अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभा पंकम्पभाए य होजा जाव अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होजा अहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए धूमाए होजा एवं रयणप्पनं अमुयंतेषु जहा तिन्हं तियासंजोगो भणिओ तहा भाणियव्वं जाय अहवा रयणप्पभाए तमाए य असत्तमाए य होजा अहवा रयणम्पभाए य सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पमाए अहेसत्तमाए य होजा अहवा रयणप्पभाए सकूकरप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होजा एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा चउन्हं चउक्कगसंजोगो भणितो तहा भणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाए धूमप्यभाए तमाए अहेसत्तमाए य होना अहवा रयणम्पभाए सक्कर पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए जाव पंकप्पभाए तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए जाव पंकम्पभाए अहेसत्तमाए य होजा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए य होजा एवं स्यणप्पभं अमुयंतेसु जहा पंचण्हं पंचगसंजोगो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाए पंकम्पभाए जाव अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए सकुकरप्पभाए जाव धूमष्पभाए तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए जाव धूमप्पभाए अहेसत्तमाए य होजा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव पंकप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पमाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पंकपभाए जाव असत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए जाव असत्तामाए य होजा अहवा रयणम्पमाए य सकूकरप्पमाए य जाव अहेसत्तमाए य होज्जा एयस्स णं घंते स्यणप्पमापुढविनेरइयपवेसणगस्स सक्करपमापुढवि नेरइयपवेसणगस्स जाब अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणगस्स कयरे कयरेहिंतो [ अप्पा या बहुया वा तुल्ला वा ] विसेसाहिया वा गंगेया सव्वत्थोवे अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए तमापुढविनेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे एवं पडिलोमागं जाव रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे ॥३७२1-373 (४५४) तिरिक्खजोणियपवेसणए णं घंते कतिविहे पत्रत्ते गंगेया पंचविहे पन्नत्ते तं जहाएगिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए एगे भंते तिरिक्खजोणिए तिरिक्खजोणियपवेसणएणं पविसमाणे किं एगिदिए होजा जाव पंचिंदिए होज्जा गंगेया एगिदिए या होजा जाव पंचिदिएसु वा होज्जा दो घंते तिरिक्खजोणिया तिरिक्ख- जोणियपवेसणणं - पुच्छा गंगेया एगिदिएसु वा होना एवं जहा नेरइयपवेसणए तहा तिरिक्खजोणियपवेसणए वि भाणियव्वे जाव असंखेखा, उक्कोसा भंते तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिपवेसणणं पुच्छा, गंगेया सच्चे वि ताव एर्गिदिएसु होज्जा अहवा एगिदिएसु वा बेईदिएसु वा होजा एवं जहा नेरइया चारिया तहा तिरिक्खजोणिया वि चारेयव्वा एगिंदिया अमुयंतेसु दुयासंजोगो तिया संजोगो चउक्कसंजोगो पंचसंजोगो उवजुंजिऊण भाणियव्वो जाव अहवा एगिंदिएसु बा बेइदिएसु वा जाय पंचिदिएसु वा होजा एयस्स णं भंते एगिंदियतिरिक्खजोगियपवेसणगस्स जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणगस्स य कयरे कयरेहिंतो [ अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा ] विसेसाहिया या गंगेया सव्वत्यवे पंचिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए चउरिदियतिरिक्खजोगियपवेसणए विसेसाहिए तेइंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए बेइंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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