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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गवई -१/-३२ अहवा एगे रयणप्पमाए एगे सक्करप्पमाए चत्तारि पंकप्पमाए होना एवं जाव अहवा एगे रयणप्पमाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होला अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए तिणि वालुयप्पभाएहोला एवं एएणं कमेणंजहापंच तियासंजोगो मणिओतहा छण्हं वि माणियव्वो नवरं-एकको अहिओ उच्चारेयव्यो सेसं तं चेव चउक्कसंजोगो वि तहेव पंचगसंजोगो वि तहेव नवरं-एकको अब्महिओ संचारेयचो जाव पच्छिमो मंगो अहया दो वालुयप्पमाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पमाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पमाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे तमाए होला अहया एगे रयणपभाए जाव एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पमाए जाव एगे पंकपमाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होला अहवा एगे रयणप्पमाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पमाए एगे धूमपभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पमाए एगे सक्करप्पमाए एगे पंकप्पभाएजाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसतमाए होज्जा अहवा एगे सक्करप्पभाए एगेवालुयप्पभाए जाव एगेअहेसत्तमाए होजा सत्त मंते नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं किं रयणप्पभाए होज्जा पुच्छा गंगेया रयणप्पमाए वा होगाजाव अहेसत्तमाए वा होजाअहवाएगे रयणप्पभाएछसक्करप्पमाए होजा एवं एएणं कमेणं जहा छहं दयासंजोगो तहा सत्तण्हं विभाणियच्वं नवरं एगो अब्बहिओ संचारिज्जइ सेसं तं चेव तियासंजोगो चउकसंजोगो पंचसंजोगो छक्कसंजोगो य छपहं जहा तहा सत्तण्ह विभाणियव्वं नवरं एक्कोकको अमहिओ संचारेयच्चो जाय छक्कगसंजोगो अहवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पमाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा अहया एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पपाएजाय एगे अहेसत्तमाए होजा अह भंते नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किंरयणप्पपाए होना-पुछा, गंगेया रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा अहवा एगे रयणप्पभाए सत सक्करप्पभाए होडा एवं दुयासंजोगो जाव छक्कसंजोगो य जहा सत्तहं मणिओ तहा अट्टण्ह वि माणियव्यो नवरं-एककेको अब्महिओ संचारेयव्यो सेसं तं चेव जाव छककगसंजोगस्स अहवा तिणि सक्करप्पभाएएगे वालुयप्पमाए जावएगेअहेसत्तमाए होजा अहवाएगे रयणप्पमाए जाव एगेतमाए दो अहेसत्तमाए होजा अहवाएगे रयणपभाए जावदोतमाएगे अहेसत्तमाए होजा एवं संचारेयव्यंजाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जावएगे अहेसतमाए होजा, नय भंते नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं स्यणप्पमाए होला-पुच्छा, गंगेया रयणप्पभाए या होना जाव अहेप्सत्तमाए वा होजाअहवा एगरयणप्पभाए अट्ठसक्करप्पभाए होजा एवंदुयासंजोगोजाव सतगसंजोगोयजहा अट्ठएं मणियंतहा नवण्हं पि माणियव्यं नवरं-एक्केको अभिहिओ संचारेयच्चो सेसं तं चेव पछिमो आलावगो-अहवा तिण्णि रयणप्पमाए एगे सक्करप्पमाए एगे वालुयपप्पभाए जावएगे अहेसत्तपाए होजा दस मंते नेरड्या नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पमाए होजा - पुच्छा गंगेया रयणप्पमाए या होजाजाव अहेसत्तमाए वा होजाअहवा एगे रयणप्पभाए नव सक्करप्पभाए होजा एवं दुयासंजोगो जावसत्तसंजोगो य जहा नवण्हं नवरं-एक्केको अभिहिओ संचारेयव्दो सेसं तं चेव पच्छिमो आलावगो-अहवा चत्तारि रयणप्पमाए सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा संखेज्जा मंते नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पमाए होजा-पुच्छा, गंगेया For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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