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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अदम सतं - पदेसो-८ बंधइ अणादीयं या अपञ्जवसियं बंधई नो चेवणं सादीयं अपञ्जवसियं बंधइ तं भंते किं देसेणं देसं बंधइएवं जहेव इरियावहियबंधगस्सजाय सब्वेणं सव्वं बंधइ।३४१/-342 (४१६) कइ णं मंते कामप्पगडीओ पत्रताओ गोयमा अट्ठ कमप्पगडीओ पन्नताओ तं जहा-नाणावरणिनं दंसणावरणिशं वेदणिनं मोहणिझं आउगं नाम गोयं अतंराइयं कइ णं भंते परीसहा पन्नत्ता गोयमा बावीसं परीसहा पन्नत्ता तं जहा-दिगिंछापरीसहे पियासापरीसहे सीतपरीसहे उसिणपरीसहे दंसमसगपरीसहे अचेलपरीसहे अरइपरीसहे इस्थिपरीसहे चरियापरीसहे निसीहियापरीसहे सेजापरीसहे अक्कोसपरीसहे वहपरीसहे जायणापरीसहे अलाभपरीसहे रोगपरीसहे तणफासपरीसहे जल्लपरीसहे सक्कारपुरककारपरीसहे पण्णापरीसहे नाणपरिसहे दंसणपरीसहे एए णं मंते बावीसं परीसहा कतिसु कम्मप्पगडीसु समोयरंति गोयमा चउसु कम्मप्पगडीसु समोयरंतितंजहा-नाणावरणिज्जे वेदणिज्ने मोहणिजे अंतराइए नाणावरणिलेणं मंते कम्मे कतिपरीसहा समोयरंति गोयमा दोपरीसहासमोयरंतितंजहा-पण्णापरीसहे नाणपरीसहेय वेदणिज्जेणंभंते कम्मे कति परीसहा समोयरंति पोयमा एककारसपरीसहासमोयरंतितं जहा३४२-११-343-1 (४१७) पंचेव आणुपुब्बी चरिया सेना वहे य रोगे य तणफास-जल्लमेव य एककारस वेदणिज्जम्मि 11५८||-1 (४१८) दसणमोहणिजे णं भंते कम्मे कति परिसहा समोयरंति गोयमा एगे दंसणपरीसहे सपोयरइ चरितमोहणिजेणं भंते कम्मे कतिपरीसहा समोयरंति गोयमा सतपरीसहा समोयरंति तं जहा)।३४२-२१-342-2 (४१९) अरती अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अक्कोसे सक्कार-पुरकारे चरित्तमोहम्मि सत्तेते (४२०) अंतराइए णं भंते कम्मे कति परीसहर समोयरंति गोचमा एगे अलाभपरीसहे समोयरइ, सत्तविहबंधगस्सणं भंते कति परीसहा पन्नत्ता गोयमा बावीसं पहीसहा पत्रत्ता वीसं पण वेदेइ-जं सपयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइजं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइजं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ एवं अविहबंधगस्स वि छव्विहबंधगस्स गं भंते सरागछउमत्यस्स कति परीसहा पन्नत्ता गोयपा चोद्दस परिसहा पन्नत्ता बारस पुण वेदेइ-जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइजं समयं दरियापरीसहं वेदेइनो तं समयं सेनापरीसहं वेदेइजंसमयं सेनापरीसहं वेदेइनोतं समयं चरियापरीसहं वेदेइएककविहबंधगस्सणं मंते वीयरागछउमत्यस्स कति परीसहा पन्नत्ता गोयमा एवं चेब-जहेव छब्बिहबंधगस्स एगविहबंधगस्स णं मंते सजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पनत्ता गोयमा एक्कारस परीसहा पन्नत्ता नव पुण वेदेइ सेसं जहा छविहबंधगस्स अबंधगस्सणं भंते अयोगिभवत्यकेवलिस्स कतिपरीसहा पत्रत्ता गोयपाएक्कारस परीसह पन्नत्ता नव पुण वेदेइ-जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइजं समयं उसिणपरीसहं वेदेइनो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेनापरीसहं वेदेइ जं सपयं सेनापरीसहं वेदेइ नोतंसमयंचरियापरीसहं वेदेइ३४२१-343 (४२१) जंबुद्दीवे णं भंते दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति मझंति ॥५९/-2 For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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