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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 92 ८/१०/४१४ इत्यीओ बंधंति नो पुरिसा बंधंति नो नपुंसगा बंधंति नोइत्थी नोपुरिसो नो नपुसंगो बंधइपुव्वपडिवन्नए पडुच अवगयवेदा बंधंति पडिवज्रमाणए पडुच अवगयवेदो या बंधइ अवगयवेदा या बंधति भगवई 4 ज भंते अवयवेद या बंधइ अवगयवेदा वा बंधति तं मंते किं इत्थीपच्छाकडो बंधइ पुरिसपच्छाकडो बंधइ नपुंसगपच्छाकडो बंधइ इत्यीपच्छाकडा बंधंति पुरिसपच्छाकडा बंधति नपुंसगपच्छाकडा बंधंति उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंघइ उदाहु इत्थीपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ उदाहु पुरिसपच्छाकडो य नपुंसंगच्छाकडी य बंधइ उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडी य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ एवं एते छब्बीसं मंगा जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति गोयमा इत्यीपच्छाकडो वि बंधाई पुरिसपच्छाकडो वि बंधइ नपुंसगपच्छाकडो वि बंधइ इत्थीपच्छाकडा वि बंधंति युरिसपच्छाकडा वि बंधंति नपुंसगपच्छाकडा वि बंधंति अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडौ य बंधइ एवं एए देव छब्वीसं पंगा धाणियव्वा जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंत For Private And Personal Use Only तं ते किं बंधी बंध बंधिस्सइ बंधी बंधइ न बंधिस्सइ बंधी न बंधइ बंघिस्सइ बंधी न बंध‍ बंधिस्सइन बंधी बंध बंधिस्सइ न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ न बंधी न बंधन बंधिस्स गोयमा भवागरिसं पडुच अत्तेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए बंधी बंध‍ न बंधिस्सइ एवं तं चैव सव्वं जाव अत्येगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ गहणागरिसं पडुच अत्येतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ एवं जाव अत्येगतिए न बंधी बंधइ बंधिस्सइ नो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ अत्येगतिए न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ तं भंते किं सादीयं सपज्जवसियं बंधइ सादीयं अपज्जवसियं बंधइ अणादीयं सपज्जवसियं बंधइ अणादीयं अपज्जवसियं बंधइ गोयमा सादीयं सपज्जवसियं बंधइ नो सादीयं अपज्जवसियं बंधइ नो अणादीयं सपज्जवसियं बंधइ नो अणादीयं अपज्जवसियं बंधइ तं भंते किं देसेणं देवं बंधइ देसेणं सव्वं बंध सव्वेणं संबंध सव्वेणं सव्वं बंधइ गोयमा नो देसेणं देतं बंधइ नो देसेणं सव्वं बंधइनो सव्वेणं देसं बंधइ सव्वेणं सव्वं बंधइ । ३४०/-341 (४१५) संपराइयं णं भंते कम्मं किं नेरइओ बंधइ तिरिक्खजोणियो बंधइ जाव देवी बंधइ गोयमा नेरइओ वि बंघइ तिरिक्खजोणिओ वि बंधइ तिरिक्खजोणिणी वि बंधइ मणुस्सो वि बंधइ मस्सी विबंध देवो वि बंधइ देवी वि बंधइ तं भंते किं इत्थी बंधइ पुरिसो बंधइ तहेव जाव नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुसंगो बंघइ गोयमा इत्थी वि बंधइ पुरिसो वि बंधइ जाव नपुंसगा वि बंधति अहवा एते य अवगयवेदो य बंधइ अहवा एते य अवगयवेदा य बंधंति जइ मंते अवगद्यवेदो य बंधइ अवगयवेदा य बंधंति तं भंते किं इत्थीयपच्छाकडो बंधइ पुरिसपच्छाकडो बंधइ एवं जहेव इरियावहियबंधगस्स तहेव निरवसेसं जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकड़ा य बंधेति तं भंते किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ बंधी बंधइ न बंधिस्सइ बंधी न बंधइ बंधिस्सइ बंधी न बंधइन बंधिस्सइ गोयमा अत्येगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ अत्येतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ तं भंते किं सादीयं पञ्जसि बंध पुच्छा तहेव गोयमा सादीयं या सपञ्जवसियं बंधइ अणादीयं वा सपज्जसियं
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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