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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई - ७/-/१/३३३ १२६ वीससाए निव्वाधाएणं गती पक्त्तति एवं खलु गोयमा निरिंधणयाए अकम्मस्स गती पन्नायति कहण्णं मंते पुव्वष्पओगेणं अकम्मस्स गती पत्रायति गोयमा से जहानामए कंडस्स कोदंडविप्पमुक्कस्स लक्खाभिमुही निव्वाधाएणं गती पवत्तइ एवं खलु गोयमा पुव्वप्यओगेणं अकम्मस्स गती पत्रायति एवं खलु गोयमा निस्संगयाए निरंगणयाए [गतिपरिणामेणं बंधणछेदणयाए निरिंधणयाए। पुव्वष्पओगेणं अकम्मस्स गती पन्त्रायति । २६४१-264 ( ३३४) दुक्खी भंते दुक्खेणं फुडे अदुक्खी दुक्खेणं फुडे गोयमा दुक्खी दुक्खेणं फुडे नो अदुक्खी दुक्खेण फुडे दुक्खी भंते नेरइए दुक्खेणं भंते नेरइए दुक्खेणं फुडे अदुक्खे नेरइए दुक्खेणं फुडे गोयमा दुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे नो अदुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं एवं पंच दंडगा नेयव्वा-दुक्खी दुक्खेणं फुडे दुक्खी दुक्खं परियायइ दुक्खी दुक्खं उदीरे दुक्खी दुक्खं वेदेति दुक्खी दुक्खं निजरेति । २६५१-265 (३३५) अणगाररस णं भंते अणाउतं गच्छमाणस्स वा चिट्टमाणस्स वा निसीयमाणस्स वा तुयट्टमाणस्स वा अणाउत्तं वत्यं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं गेव्हमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा तस्स णं भंते किं इरियावहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कज्जइ गोयमा नो इरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कज्जइ से केणद्वेणं गोयमा जस्से णं कोह- माण- माय लोभा वोच्छिणा भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ जस्स णं कोह- माण- माया-लोमा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कजइ अहासुत्तं इरियमाणस्स इरियावहिया किरिया कजइ उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ से णं उस्सुत्तमेव रीयती से तेणट्टेणे । २६६१ - 286 ( ३३६ ) अह भंते सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुट्ठस्स पाण-भोयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते गोयमा जेणं निग्गंधे वा निग्गंधी वा फासु-एसणिज्जं असण- पाण- खाइम- साइमं पडिग्गाहेता मुछिए गिद्धे गढिए अज्झोववने आहारमाहारेइ एस णं गोयमा सइंगाले पाण- भोयणे जे गं निग्गंधे वा निग्गंधी वा फासु-एसणिचं असण- पाणखाइमं साइमं पडिग्गहेत्ता महयाअप्पत्तियं कोहकिलामं करेमाणे आहारमाहारेइ एस णं गोयमा सधूने पाण-भोयणे जे णं [निग्गंधे वा निग्गंधी वा फास - एसणि असण- पाण- खाइम - साइमं ] पडिग्गाहेत्ता गुणुप्पायणहेउं अण्णदव्वेणं सद्धि संजोएत्ता आहारमाहारेइ एस गं गोयमा संजोयणादोसदुट्टे पाण-भोयणे एस णं गोयमा सइंगालस्स सधूमस्स संजोयणादोसदुट्ठस्स पाण-भोयणस्स अड्डे पन्नत्ते अह भंते वीतिंगालस्स वीयधूमस्स संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाण-मोयणस्स के अड्डे पत्रत्ते गोयमा जे णं निग्गंथे वा [निग्गंधी वा फासुएसणिज्जं असण-पाण खाइम साइमं पडिग्गाहेता अमुच्छिए [अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने आहारमा हारेइ एस णं गोयमा वीतिंगाले पाण भोयणे जे णं [निग्गंधे वा निग्गंथी वा फासुएसणिजं असण पाम खाइम साइमं ] पडिग्गाहेत्ता नो महयाअप्पत्तियं [कोहकिलामं करेमाणे आहारमा हारेइ एस णं गोयमा वीयधूने पाण-भोयणे जे णं निग्गंधे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिजं असण-पाण-खाइम- साइमं पडिग्गाहेत्ता जहा लद्धं तहा आहारमाहारेइ एस णं गोयमा संजोयणादोस विष्पमुक्के पाणभोयणे एस णं गोयमा वीतिंगालस्स वीयधूमस्स संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाणभोयणस्स अट्ठे पत्रत्ते । २ ६७1-267 (३३७) अह भंते खेत्तातिक्कंतस्स कालातिक्कंतस्स मग्गातिक्कंतस्स पमाणातिक्कंतस्स पाण- भोयणस्स के अट्टे पत्रत्ते गोयमा जे णं निग्गंथे वा निग्गंधी वा फासु-एसणिजं असण For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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