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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंचमं सतं - उदेसो-६ वेदणं वेदेति तेणं नेरइया अणेवंभवं वेदणं वेदेसि से तेणंटेणं एवं जाव वेमाणिया संसारमंडलं नेयव्वं १२०१! -201 (२४३) जंबुद्दीवे णं भंते इह भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए समाए कइ कुलगरा होत्या गोयमा सत्त एवं तित्थयपायरो पियरो पढपा सिस्सिणीओ चक्कट्टिमायरो इत्यि रयणं बलदेवा वासुदेवा वासुदेवमायरो बलदेव वासुदेव पियरो एएसिंपडिसत्तु जहा समवाए परिवाडी तहा नेयव्वा सेवं भंते सेवं भंते ति जाव विहरइ २०२। -202 .पंचमे सते पंचमो उदेसो समतो. - छटो -उसो :(२४४) कहण्णं भंते जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेंति गोयमा पाणे अइबाएता मुसं वइत्ता तहारूवं समणं वा पाहणं वा अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेता-एवं खलु जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेतिं कहण्णं भंते जीवा दीहाउयत्ताए कम्म पकरेति गोयपा नो पाणे अइबाएत्ता नो पुसं वइत्ता तहारूवं सपणं वा पाहणं वा फासुएणं एसणिजेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता-एवं खलु जीवा दीहाउयत्ताए कम्म पकरेंति कहण्णं भंते जीवा असुभदीहाउयत्ताए कामं पकरेति गोयपा पाणे अइवाएत्ता मुसं यइत्ता तहानचं समणं वा माहणं वा हीलित्ता निंदित्ता खिंसित्ता गरहिता अवमण्णित्ता अण्णयेणं अपण्णेणं अपीतिकारएणं असण पाण-खाइम-साइमेणं पडिलामेता-एवं खलु जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्पं पकरेति कहण्णं भंते जीदा सुभदीहाउयत्ताए कम पकरेतिं गोयमा नो पाणे आइवाएत्ता नो असं वइत्ता तहारूवं समणं वा माहणं वा वंदित्ता नमसिता जाव पजवासिता अण्णयरेणं मणुण्णेणं पीतिकारएणं असण-पाण-खाइप-साइमेणं पडिलाभेत्ता-एवं खलु जीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेति ।२०३।-203 (२४५) गाहावइस्स णं भंते मंडं विकिकणमाणस्स केइ भंडं अवहरेजा तस्स णं भंते भंड अणुगवेसमाणस्स किं आरंभिया किरिया कज्जइ पारिग्गहिया किरिया कज्जइ मायावत्तिया किरिया कज्जइ अपचक्खाणकिरिया कजइ मिच्छादसणवत्तिया किरिया काइ गोयमा आरंभिया किरिया कजइ पारिग्गहिया किरिया कजइ मायावत्तिया किरिया कज्जइ अपचखाणकिरिया कन्नइ मिच्छादसणकिरिया सिय कजइ सिय नो कनइ अह से भंडे अभिसमण्णागए भवइ तओ से पच्छा सव्याओ ताओ पयणई भवंति गाहावइस्स णं भंते भंडं विकिकणमाणसस्स कइए भंडं साइजेजा भंडे य से अणुवणीए सिया गाहावइस्सणं भंते ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया काइजाद पिच्छादसण किरिया कज्जइ कइयस्स वा ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कजइ जाव मिच्छादसणकिरिया कज्जइ गोयमा गाहावइस्स ताओ भंडाओ आरंपिया किरिया कजइ जाव अपच्छक्खाणकिरिया कजइ मिच्छादसणकिरिया सिय कनइ सिय नो काइ कइयस्स ण ताओ सव्वाओ पयणुईभवंति गाहावइस्स णं भंते मंडं विकिकणमाणस्स [कइए भंडं साइनेजा भंडे से उवणीए सिया कइयस्स णं भंते ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कज्जई जाव मिच्छादसणकिरिया काइ गाहावइस्स वा ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कन्जइ जाच मिच्छादसणकिरिया कैज्झइ गोयमा कइयस्स ताओ भंडाओ हेहिलाओ चत्तारि किरियाओ कजंति मिच्छादसणकिरिया भवणाए गाहावइस्स णं ताओ सब्बओ For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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