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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०० भगवई . ५/-/६/२४ पयणुईभवंति गाहावइस्स णं मंते भंडं [विक्किणमाणस्स कइए मंडं साइजेज्जा धणे य से अनुवणीए सिया कइयस्स णं मंते ताओ धणाओ किं आरंभिया किरिया कज्जइजाव मिच्छादसणकिरिया कज्जइ गाहावइस्स या ताओ धणाओ किं आरंभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसणकिरिया कजइ गोयमा कइयस्स ताओ धणाओ हेहिलाओ चत्तारि किरियाओ कजंति मिच्छादसणकिरिया प्रयणाए गाहावइस्स णं ताओ सव्वाओ पयणुईभवंति गाहावइस्स णं पते भंडं विक्किणमाणस्स कइए मंडं साइजेजा धणे से उवणीए सिया गाहावइस्स णं पते ताओ धणाओ किं आरंभिया किरिया कजइ जाव मिच्छादसणकिरिया कज्जइ कइयस्स वा ताओ धणाओ किं आरंभिया किरिया कजइ जाव मिच्छादसणकिरिया कजइ गोयमा माहावइस्स ताओ धणाओ आरंभिया किरिया कज्जइ जाब मिच्छादसणकिरिया कजइ गोयमा माहावइस्स ताओ धणाओ आरंभिया किरिया कज्जइ जाव अपचक्खाणकिरिया कज्जइ मिच्छादसणकिरिया सिय कनई सिय नो कजइ कइयस्स णं ताओ सब्याओ पयणुईभवंति] अगणिकाए णं भंते अहुणोजलिए समाणे महाकम्पतराए चेव महाकिरिया तराए चेय महासवतराए चेव महावेदणतराए चेव भवइ अहे णं समए समए चोककसिझमाणेबोक्कसिज्जमाणे चरिमकालसमयंसि इंगालभूए मुभमुरब्भूए छारियब्भूए तओ पच्छा अप्पकम्म- तराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव अप्पवेयणतराए वेव भवइ हंता गोयमा अगणिकाए णं अहुणोजलिए समाणे तं चेव ।२०४१ -204 (२४६) पुरिसे णं मंते घणु परामुसइ परामुसित्ता उसुं परामुसइ परामुसित्ता ठाणंठाइ ठिच्चा आयतकपणातयं उसुं करेति उड्ढं बेहासं उसुं उब्विहइ तए णं से उसू उड्ढं वेहासं उबिहिए समाणे जाई तत्य पाणाइं भूयाई जीवाइ सत्ताई अभिहणइ क्त्तेति लेसेति संघाएइ संघटेति परितावेइ किलामेइ ठाणाओ ठाणं संकामेइ जीवियाओ ववरोवेइ तए णं भंते से पुरिसे कतिकिरिए गोयमा जावं च णं से पुरिसे घj पारमुसइ उिसुं परामुप्सइ ठाणं ठाइ आयतकण्णतयं उसुंकरति उड्ढं वेहासं उसं] उबिहइतावंचणं से पुरिसे काइयाए [अहिगरणियाए पाओसियए पारियावणियाए] पाणइवायाए-पंचहि किरियाहिं पुढे जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव-त्तिए ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा एवं धणुपट्टे पंचहि किरियाहिं जीवा पंचहिं हारूं पंचहिं उसू पंचहि-सरे पत्तणे फले हारू पंचहिं ।२०५।-205 (२४७) अहे णं से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए मारियत्ताए गुरुसंभारियत्ताए अहे वीससाए पद्यो- वयमाणे जाई तत्थ पाणाई जाव जीवियाओ ववरोवेइ तावं च णं से पूरिसे कतिकिरिए गोयमा जावं च णं से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहिं किरियाहि पुढे जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए ते वि जीवा चउहि किरियाहिं धणुपुढे-चउहि जीवा चउहिं हारूं चउहिं उसू पंचहि-सरे पत्तणे फले प्रहार पंचहिं जे वि य से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वदति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्टा ।२०६।-206 (२४८) अण्णउत्थिया णं भंते एवमातिक्खंति जाव पालवेति-से जहानामए जुवति जुवाणे हत्येणं हत्थे गेण्हेजा चककस्स या नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव जाव चत्तारि पंच जोयणसयाई बहुसमाइण्णे मणुयलोए मणुस्सेहिं से कहमेयं मंते एवं गोयमा जणं ते For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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