SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पइण्णग समवाओ णं दस वत्थू चत्तारि चुलियावत्थू पन्नत्ता अग्गेणियस्स णं पुव्वस्स चोद्दस वत्यू, वारस चूलियावत्यू पनत्ता वीरियस्स णं पुवस्स अट्ट वत्थू अट्ट चूलियावत्यू पत्रता अस्थिणस्थिप्पवायरस णं पुष्बम्स अट्ठारस वत्थू दस चूलिया वत्यू पत्रता नाणप्पवायस्स णं पुवस्स वारस वत्थू पत्रत्ता सच्चपवायरस णं पुव्यस्स दो वत्थू पन्नत्ता आयप्पवायस्स णं पुवस्स सोलस वधू पन्नत्ता कम्यप्पवायरस णं पुव्वस्स तीसं वत्यू पत्रत्ता पच्चस्खाणस्स णं पुव्वस्स वीस वत्यू पन्नत्ता विजाणुप्पबायस्प णं पुवस्स पनरस वत्थू पन्नत्ता अवंझस्स णं पुवस्स वारस वत्थू पन्नत्ता पाणाउस्स णं पुवासं तेरस वत्यू पनत्ता किरियाविसालस्स णं पुब्बस्स तीसं वत्यू पन्नत्ता लोयविंदुसारस्स णं पुब्बस्स पणुचीसं वत्यू पन्नत्ता ।१४७-१1 -147-1 (२२९) दस चोद्दस अठारसेव वारस दुवे य वत्यूणि सोलस तीसा बीसा पत्रास अनुप्पवायपि ॥६३||-1 (२३०) वारस एक्कारसमे वारसमे तेरसेव वत्थूणि तीसा पुण तेरसमे चोदसमे पत्रवीसाओ ||६४||-2 (२३१) चत्तारि दुवालस अट्ट चेव दस चेव चूलवत्यूणि आतिलाण चउण्हं सेसाणं चूलिया नत्थि ||६५||-3 (२३२) सेत्तं पुब्बगए से किं तं अनुओगे अनुओगे दुविहे पत्रत्ते तं जहा-मूलपढमाणुओगे व गंडियाणुओगे य से किं तं मूलपढमाणुओगे मूलपढमाणुओगे-एस्थ णं अरहताणं भगवंताणं पुव्यभवा देवलोगगमणाणि आउं चषणाणि जम्मणाणि य अभिसेया रायवरसिरीओ सीयाओ पन्चजाओ तवा य भत्ता केवलनाणुप्पाता तित्थपवत्तणाणि य संघरणं संठाणं उच्चत्तं आउयं वण्णविभातो सीसा गणा गणहरा य अजा पवत्तिणीओ संघस्स चउब्धिहस्स जं वावि परिमाणं जिण-मणपज्जव-ओहिनाणी सम्मत्तसुयनाणिणो य वाई अनुत्तरगई य चत्तिया जतिया सिद्धा पातोवगता य जे जहिं जत्तियाई भत्ताइं छेयइत्ता अंतगडा मुनिवरुत्तमा तमरओध-विष्पमुक्का सिद्धिपहमनुत्तरं च पत्ता एए अत्रे य एवमादी भावा मूलपढमाणुओगे कहिया आघविनंति पन्नविनंति परुविनंति दंसिर्जति निदंसिर्जति उददंसिर्जति सेत्तं मूलपढमाणुओगे से किं तं गंडिवाणुओगे गंडिवाणुओगे अणेगविहे प. तं.-कुलगरगंडियाओ तित्थगरगंडियाओ गणधरगंडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ हरिवंसगंडियाओ भद्दबाहुगंडियाओ तवोकमंगडियाओ चित्ततरगंडियाओ उस्सप्पिणीगंडियाओ ओसप्पिणगंडियाओ अमर-नरतिरिय-निरय-गइ-गमण-विविह-परियट्टणाणुओगे एवमाइयाओ गंडियाओ आधविनंति पनविनंति परूविनंति देसिजंति निदंसिर्जति उवदंसिर्जति सेत्तं गंडियाणुओगे से किं तं चूलियाओ चूलियाओ-आइल्लाणं चउण्हं पुन्वाणं चूलियाओ सेसाई पुव्वाई अचूलियाई सेतं चूलियाओ दिद्विवायस्स णं परिता वायणा संखेजा अनुओगदारा [संखेजाओ पडिवत्तीओ संखेना वेढा संखेजा सिलोगा संखेजाओ निझुत्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ से णं अंगठ्ठयाए वारसमे अंगे एगे सुयखंधे चोद्दस पुब्वाइं संखेल्जा वत्थू संखेजा चूलवत्थु संखेज्जा पाहुडा संखेना पाहुडपाहुडा संखेजाओ पाहुडियाओ संखेनाओ पाहुडपाहुडियाओ संखेजाणि पयसयसहस्साणि पयग्गेणं संखेना अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जया परिता तसा अनंता थावरा सासया कडा निबद्धा निकाइया जिणपत्रत्ता भावा आधविनंति For Private And Personal Use Only
SR No.009730
Book TitleAgam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages82
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 04, & agam_samvayang
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy