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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पइण्णग समवाओ (१९५) इमीसे णं रमणप्पभाए पुढवीए वइरकंडस्स उरिल्लाओ चरिपंताओ लोहियखस्स कंडसम हेहिले चरिमंते एस णं तिणि जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प. ११६।-116 (१९६) तिगिच्छ-केसरिदहा णं चत्तारि-(२)जोचणसहस्साई आयामेणं प. 1११७१ -117 (१९७) धरणितले मंदरस्स णं पब्वयस्स बहुमझदेसभाए रूयगनाभीओ चडदिसिं पंच-पंच जोयणसहस्साई अवाहाए मंदरपव्वए पन्नत्ते ।११८५-118 (१९८) सहस्सारे णं कप्पे छ विमाणावाससहस्सा पत्रत्ता ।११९।-119 (१९९) इमीसे णं रयणप्पमाए पुढचीए रयणरस कंडा उवरिल्लाओ चरिमंताओ पुलगस्स कंडस हेछिल्ले चरिमंते एस णं सत्त जोवणसहस्साई अवाहाए अंतरे प. १२०/-120 (२००) हारेवास-सम्मवा णं वासा अदु-अह जोयणसहस्साइं साइरेगाइं वित्थरेणं पत्रत्ता 1१२१। -121 (२०१) दाहिणड्ढभरहस्स णं जीवा पाईणपडीणायया दुहओ समुदं पुट्टा नच जोयणसहस्साइं आयामेणं पत्रत्ता ।१२२/- 122 (२०२) मंदरे णं पव्वए धरणितले दस जोयणसहस्साइं विखंभेणं पन्नते १२३।- 123 (२०३) जंबूदीवेणं दीवे एगंजोयणसहयसहस्सं आयामविस्खंभेणं पत्रत्ते ।१२४। -124 (२०४) लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं प.१२५/- 125 (२०५) पासस्स णं अरहओ तिणि सयसाहसीओ सत्तावीसं च सहस्साई उककोसिया साविया संपया होत्था ।१२६।- 126 (२०६) घायइसंडे णं दीवे चत्तारिजोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ता ११२७/- 127 (२०७) लवणस्स णं समुद्दस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ पञ्चथिमिल्ले चरिपते एस णं पंच जोयणसयसहस्साई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते ।१२८1-128 (२०८) मरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी छ पुव्यसबसहस्साई रायमझावसित्ता मुंडे भविता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ।१२९।- 129 (२०९) जंवूदीवस्स णं दीवस्स पुरथिमिल्लाओ वेइयंताओ धायसंडचक्कवालस्स पच्चस्थिपिल्ले चरिमंते एस णं सत्त जोयणसयसहस्साई अवाहाए अंतरे पत्रत्ते ।१३०।- 130 (२१०) महिंदे णं कप्पे अट्ठ विमाणावाससयसहस्साई पन्नत्ताई।१३१/-131 (२११) अजियरस णं अरहओ साइरेगाइं नव ओहिनाणिसहस्साई होत्था ।१३२१-132 (२१२) पुरिससीहे णं वासुदेवे दप्त वाससयसहस्साई सच्चाउयं पालइत्ता पंचमाए पुढवीए नरएसु नेरइयत्ताए उयक्ने ।१३३।- 133 (२१३) समणे भगवं महावीरे तित्थगरभवग्गहणाओ छटे पोट्टिलभवणहणे एवं वासकोडिं सामण्णपरियागं पाउणित्तां सहस्सारेकप्पे सवढेविमाणे देवत्ताए उववन्ने ।१३४।- 134 (२१४) उसभसिरिस्सा भगवओ पवरिमस्स य महावीरबद्धमाणस्स एगा सागरोयमकोडाकोडी अवाहाए अंतरे पत्रत्ते ।१३५1-135 (२१५) दुवालसंगे गणिपिङगे पत्रत्ते तं जहा-आयारे सूयगडे ठाणे समवाए विवाहपन्नत्ती नाया-धप्पकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अनुतरोववाइयदसाओ पण्हा For Private And Personal Use Only
SR No.009730
Book TitleAgam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages82
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 04, & agam_samvayang
File Size2 MB
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