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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समवाओ पुरिससएहिं सद्धि मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइ 19०९/- 109 (१८९) वंभ-लंतए कप्पेसु विमाणा सत्त- सत्त जोबणसवाइ उड़ उच्चतेणं पन्नत्ता समणस्स णं भगवओ महावीरस्स सत्त जिणसया होत्था समणस्स भगवओ महावीरस्स सत्त वैटवियना होत्था अरिनेमी णं अरहा सत्तं वाससबाई देसूणाई केवलपरियागं पाठणित्ता सिद्धे वुद्धे मुत्ते अंतगड़े परिणिबुडे सब्बदुक्खं! पहीणे महाहिमवंतकूडस्स णं उचरिल्लाओ चरिमंताओ महाहिमवंतस्स वासहर पव्वयस्स समे धरणितले एस णं सत्त जोयणसयाई अवाहाए अंतरे पत्ते एवं रूप्पिकूइम्सवि 1990/- 110 ( १९० ) महासुक्क सहस्सारेसु - दोसु कप्पेसु विमाणा अट्ठ-अट्ठ जोयणसयाई उड्ढ उच्चतेणं पत्रत्ता इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए पढमे कंडे असु जोवणसएसु वाणमंतरभोमेज विहारा पत्ता समणरस णं भगवओ महावीरम्स अट्टसवा अनुत्तरोव-वाइयाणं देवाणं गइकल्लाणाणं टिईकल्लाणाणं आगमेसिभद्दाणं उक्कोसिआ अनुत्तरोववाइयसंपया होत्था इसे णं रणसभा पुढवीए बहुसमरमणिओ भूमिभागाओ अहिं जोयणसएहिं सूरिए चारं चरति अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स अट्ठ सवाई वाईणं सदेवमणुयासुरम्म लोगम्मि वाए अपराजियाणं उक्कोसिया वाइसंपया होत्था 19991 - 111 (१९१) आणय-पाणय-आरएस कम्पेसु विमाणा नव-नव जोयणसयाई उड्ढ उच्चतेणं पन्नत्ता निसहकूडस्स णं उवरिल्लाओं सिहरतलाओ निसटस्त वासहरपव्वयस्स समे धरणितले एस णं नव जोयणसवाई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते एवं नीलवंतकूडस्सवि विमलवाहणे णं कुलगरे णं नव धणुसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्या इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए वहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ नवहिं जोयणसएहिं सब्बुपरिमे तारारूवे चारं चरइ निसढस्स णं वासधरपव्वयस्स उवरिल्लाओ सिहरतलाओ इमीसे णं रवणप्पभाए पुढवीए पढमस्स कंड- स्व बहुमज्झदेलभाए एस णं नव जोयणसयाई अवाहाए अंतरे पत्रत्ते एवं नीलवंतस्सवि 1992 - 112 - For Private And Personal Use Only पड़. /१८८ (१९२) सव्वेणिं गेवेज्जविमाणा दस-दस जोयणसबाई उडूढं उच्चतेणं पन्नता सच्चेविं णं जमगपच्वया दस-दस जोयणसवाई उडूढं उच्चत्तेणं दस-दस गाउय सचाई उव्वेहेणं मूले दसदस जोवणसयाई आयामविक्भेणं पन्नत्ता एवं चित्त-विचित्राकूडा वि भाणियव्वा सव्वेविणं बट्टवेयड्ढपव्वया दस-दस जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेगं दस-दस गाउयसबाई उब्वेहेणं तव्वत्थ समा पल्लगसंठाणसंटिया मूले दस-दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पन्नत्ता सव्वेवि णं हरि-हरिस्त - हकूड़ा वक्खारकूडवज्जा दस-दस जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं मूले दस जीयणसपाई विक्खभेणं पत्रता एवं बलकूडावि नंदणकूडवज्जा अरहा वि अरिनेमी दस वाससबाई सव्वाउचं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे (मुत्ते अंतगडे परिणिबुडे । सव्वदुक्खप्पहीणे पारास्स णं अरहओ दस सवाई जिणाणं होत्या पासस्स णं अरहओ दस अंतेवासियाई कालगवाई वीइक्कताई समुज्जयाई छिण्णजाइजरामरणबंधणाई सिद्धाई बुद्धाई मुत्ताई अंतगड़ाई परिनिव्वुबाई सव्वदुक्खप्प हीणाई पउमद्दह-पुंडरीयदहा य दस-दस जोवणसवाई आवापेणं पन्नत्ता 1११३ - 113 ( १९३) अनुत्तरोबवाइयाणं देवाणं विमाणा एक्कारस जोवणसवाई उड्ढ उच्चरोणं पत्रत्ता पासस्स णं अरहओ इक्कारससचाई वैउब्वियाणं होत्था | 99४/- 114 (१९४) महापडम-महापुंडरीयदहाणं दो-दो जोयणसहरसाई आयामैणं प ।११५/- 115
SR No.009730
Book TitleAgam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages82
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 04, & agam_samvayang
File Size2 MB
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