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________________ श्री ममल पाहुड़ जी विषयवस्तु - दिस्टि भय हरन दह दंसन के भेद, मन भय हरन न्यान पांच, झड़प भय हरन - तेरा विधि चारित्र । - १० दंसन + ५ न्यान + १३ विधि चारित्र के ३ ठिकाने १. पाँच महाव्रत, २. पाँच समिति, ३. तीन गुप्ति १८ दिशा १० + अंग ८ = १८ (१८ X १८ = ३२४) तीन अर्थ के तीन गुने उत्पन्न अर्थ ३२४ + हितकार अर्थ ३२४ + सहकार अर्थ ३२४ = ९७२ । - जुगल नेत्र परिनाम १००८ षट् कमल नेत्र १२, एक-एक दिस्टि के १४-१४ भेद - १२x१४ = १६८ षट् कमल विशेष - १६८६ = १००८ । बाणी बारह देव वाणी, दिवि वाणी, दिवि धुनी वाणी, अनहद वाणी, सरसुती वाणी, अमृत वाणी, छद्यस्थ वाणी, गिरा वाणी, ममल वाणी, न्यान वाणी, निर्वाण वाणी, जिनराइ वाणी । अक्षर आदि का अभिप्राय - . · अक्षर अक्षय पद, व्यंजन व्यक्त स्वरूप, - स्वर - सूर्य के समान केवलज्ञान स्वभाव, पद अपना ममल स्वभाव, कमल दल (कमल चतुर्दशी के ठिकाने) - मसुडो लवनु २, इष्ट उष्ट २, इष्ट कंठ उत्पन्न कंठ तालु २, इष्ट दर्स उत्पन्न दर्स२, गिरा आवाहनं करोति रमन ३ १४ । ( जिस प्रकार कमल कीचड़ और पानी में रहते हुए निर्लिप्त और न्यारा रहता है इसी प्रकार अपना चैतन्य ज्ञायक कमल है, कमल चतुर्दशी के इन १४ भेंदों के द्वारा अपने कमल स्वभाव की साधना का अभिप्राय है) विषय १७ - दिस्टि के वर्न ५ काला, पीला, नीला, लाल, सफेद । - अर्थ प्रयोजन। - - २, इष्ट तालु उत्पन्न - १, कलन चरन २२ नासिका के विषय २ - सुगंध, दुर्गंध । - शरीर के विषय ८ कमल (रसना) के विषय ५ खट्टा मीठा, कड़वा, चरपरा, कषायला । आकर्न के विषय ७- रसनि, कसनि, तंति, तार, फूक, सब्द, असब्द । हरउ, गरड, रूषी, नरम, गरम, चिकना, कड़ा, ठंडा । रसनि दृष्टि, कसनि आकर्न, तंति हित, तारस्वयं अस्कंध, सब्द -- कमल असब्द इष्ट उत्पन्न, अशब्द सर, इष्ट उत्पन्न, गुहिज सर, गुपित सर, शाह । आकर्म के विषय ७ तत्काल फूक सर ७- शब्द सर, कमल सर । = - अक्षर स्वर व्यंजन अक्षर ५ ॐ नमः सिद्धं । सुर १४ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः । व्यंजन ३३ कु, चु, टु, तु, पु ५x५ २५, य, र, ल, व, श, स, ष, ह८ २५ = ३३ । ३६ अर्क " - · १. कमल सी अर्क ४. हंस सी अर्क ७. दिप्ति सी अर्क - ३४. भद्र सी अर्क ५ शब्द की भाषा ललित चरण । १०. सुर्क सी अर्क १३. नन्द सी अर्क १६. हिय रमन सी अर्क १९. सहबार सी अर्क २२. सुइ उवन सी अर्क २५. विन्द सी अर्क २८. हिययार सी अर्क ३१. जैन सी अर्क २. - चरन सी अर्क सुवन सी अर्क श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी - ३. ६. - ५. ८. सु दिप्ति सी अर्क ११. अर्थ सी अर्क १४. आनन्द सी अर्क १७. अलष सी अर्क २०. रमन सी अर्क २३. षिपन सी अर्क २६. समय सी अर्क २९. जान सी अर्क ३२. लषन सी अर्क ३५. मय उवन सी अर्क ३६. पय उवन सी अर्क । - हित हित ही, मित दिस्टि, परिनड़ आकर्न, कोमल कोमल, कर्न सी अर्क अवयास सी अर्क अभय सी अर्क ९. १२. विंद सी अर्क १५. समय सी अर्क १८. अगम सी अर्क २१. सुइ रंज सी अर्क २४. ममल सी अर्क २७. सुनन्द सी अर्क ३०. सहज सी अर्क ३३. लीन सी अर्क
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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