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________________ जैन धातु प्रतिमा लेख ] ३२८ संवत १६९४ वर्षे माघ शुदि ६ गुरौ रेवतीनक्षत्रे श्री द्वीपबंदिर वास्तव्य उकेशज्ञातीय वृद्धशाखीय सा० श्रीकरण भार्या श्रीसिरोदे सुत सा० मोसी भार्या श्रीसम्पूराई पुत्र रत्न सा० शिवराज नामना श्रीश्रादिनाथविम्बं कारितं स्व प्रतिष्ठि.... च । प्रतिष्ठापितम्... तपागच्छे म० श्रीविजयदेवसूरिभिः । [ ७३ ३२६ सम्वत १६६६ माघमासे कृष्ण प्रतिपक्षे.... बाटया श्रीमंडपदुर्गे श्रीनागपुरीयतपागच्छे श्रीपासचन्दसूरिभिः गुरुभ्यो नमः श्रीजयचन्दसूरि विजयराज्ये मोह खेताना सोवी सुहन देवा । ( स्फटिक रत्नकी प्रतिमा पर से ) --- ३३० सम्वत १६६६ फागुण सुद ३ वटपद्र ( वडोदा ) वासि सा० खीमजी सुपुत्र माणिकजीकेन श्रीअंतरिक्ष पार्श्वनाथबिम्बं का० प्र० तपा श्री विजयदेवसूरिभिः ॥ ३२८ ३२६ जैन मन्दिर पार्श्वनाथ भद्रावती । ३३० जैन मन्दिर नाखिक । ****** इसी मूर्ति के रजत परिकर में निम्नलिखित लेख उत्कीर्णित है सम्वत १६६७ व वै० वदि २ दिने नडीआदिनगरवासी उसबाल वृद्धज्ञातीय राधरण गोत्रीय सा० खीमजी भा. भाई तुलजाकुक्षि संभूत पुत्र सा० माणिकजी मेघजीनामाभ्यां श्रीअन्तरिक्षपार्श्वनाथ परिकर कारितः प्रतिष्ठित श्रीतपागच्छेश भट्टारक श्रीविजयदेवसूरि पादे महम्न प्रदत्ताचार्य पदप्रतिष्ठि श्रीविजयसिंह सरिभिः ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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