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________________ [१५] [ 2535]. (१) ॥ सं० १९२८ शाके १७९३ मिति माघ सुदि १३ गुरौ श्रीपार्श्व जिन(२) चित्र प्र० । श्री जनमुक्तिसूरिनिः कारितं च । बा । सं । दिमतराम | [2536] + || सं० १९८७२७ शाके १७९३ मि० माघ सुदि १३ गुरौ श्रीक्षेत्रपात्रमूर्त्तिः प्रतिष्ठितं शुनं जयतु | [ 2537] || सं० १९५७ शाके ११९३ मि० माघ सुदि १३ गुरौ श्रीक्षेत्रपाल मूर्त्तिः प्रतिष्ठितं पंचतीर्थयों पर | [2538] सं० १४१३ वर्षे चैत्र सुदि १५ से० पासद कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगछे श्रीजिनवर्द्धन सूरिजिः [ 2539] ॥ संवत् १८४२ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ५ सोमे श्रीउपकेशज्ञातौ । बांगरडगोत्र 7 सं० ईसर पुत्र [सं०] हांसा जा० हांसलदे पुत्र सं० युतेन स्वश्रेयसे श्री शांतिनाथविवं कारितं श्री देवगुप्तसूरिजिः ॥ श्रीपतने ॥ मंडलिकेन जार्या तारू पु० सं० देमराज प्रतिष्ठितं श्री उपकेशगछे ककुदाचार्य संताने * यह श्याम पाषाण की मूर्ति पर का लेख है। + यह सफेद पाषाण की मूर्ति हैं । 40 ateria श्रीपार्श्व "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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