SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 291
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [१५०] पट्टक पर। [2540] * (१) ॥ संवत् १९२७ का शाके १९ए३ प्र. (१) वर्तमाने मिति माघ सुदि १३ गुरौ (३) श्रीबीस वहिरमान जिनबिंबा (५) नि प्रतिष्ठितं च श्रीमवृहत्खरतर (५) गठाधीश्वर । जं । यु । प्र। जट्टारक श्री (६) जिनमुक्तिसूरिनिः ५ कारापितं श्री (७) जेशलमेरस्थ श्रीसंघेन स्वश्रे(७) योर्थ ॥ नि । कृष्णचं ॥ यंत्र पर। [2541] (१) ॥ प्रतिष्ठितमिदं यंत्रं जंगमयुगप्रधान जट्टारकेन्षु श्री १०० श्री श्रीजिनमुक्ति सूरिवरैः सपरिकरैः श्रीजेसलमेर अमर- : (२) सागरमध्ये महारावलजी श्री १०७ श्रीवैरिसालजीविजयराज्ये कारितं बाफणा गोत्रीयः संघवी श्रीप्रतापचं पुत्रैः हिमः * श्री बोस बिहरमाण के पाषाण के पट्ट पर यह लेख खुदा हुआ है। यह ७ इंच लम्बा और ६ इंच चौड़ा आठ पंक्तियों में है। + यह ह यंत्र" पोले पाषाण में खुदा हुआ है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy