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________________ [२१] परिवारसहितेन श्री सितुंजय गिरनारावतारपट्टिका समरा जाय सहजलदे श्राविका पुण्यार्थ कारिता प्रतिष्ठिता खरतरगछे श्री जिनजसूरिपडालंकार श्रीश्री जिनचंद्रसूरिजिः । श्री वाचनाचार्य कमलराजगणयः प्रत्यहं प्रथमंति ॥ व ॥ श्री ॥ शुनं जयतु ॥ १ ॥ [ 2141 ] + ॥ संवत् १८१७ वर्षे वैशाषसुदि १० दिने संखवालगोत्रे सा० पेथापुत्र सा० श्रासराजश्रावण पुत्र पेता पौत्र वीदामराजप्रमुख परिवारसहितेन निज जार्या गेली पुण्यार्थं वा० कमलराजगणी श्वसयां समुपदेशेन श्री शत्रुंजय गिरनारावतारपट्टिका कारिता || श्रीखरतरग श्री जिनजप्रसूरिपडाकार श्री जिनचंद्रसूरिजिः । उत्तमलाजगणिः प्रणमति सादरं ॥ [2142]* ॥ ॐ ॥ संवत् १४९५७ वर्षे मार्गशीर्ष वदि ३ दिने श्रीऊकेशवंशे चोपडा गोत्रे वो० साव सिवराजम हिराज खोलालापण भावकैः पुत्र घिरा सहसा सहजपाल साजण शिखरा समरा मूला माला प्रमुखपरिवारसहितैः श्रीनंदीश्वरपट्टिका कारिता प्रतिष्ठिता खरतरगच्छे श्री जिनजसू रिजिः ॥ [2143] * ॥ ॐ ॥ संवत् १४९७ वर्षे श्रीककेशवंशे चोपड़ा गोत्रे सा० दीता तत्पुत्र सा० पांचा तदीय पुत्र || चो० सिवराज महिराज लोलालापण भावकैः पुत्र घिरा सहसा सहजपाल सिखस प्रमुख | परिवारसहितैः श्रीविंशति विहरणमाणपट्टिकापुरयार्थं कारिता । प्रतिष्ठिता मार्गशीर्ष बदि ३ दिने बुधे श्रीखरतरगडे श्री जिनराजसूरिपट्टे श्री जिनजऊसूरिगणिः । + पीले पाषाण पर खुदी हुई यह पट्टिका भी लम्बी ६ फुट और चौड़ी लगभग ३|| फुट है। ये दोनों पट्टिकायें पीले पासप्प पर खुदी हुई हैं। इनकी लम्बाई चौड़ाई ३ फुट है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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