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________________ ( २१६ ) गत्तीय राउत महण सिंह भुक्ति बंसंह उवाट मध्यात श्री महावीर देव वर्षे प्रति द्राम ४ खाज सूणो दत्ताः जस्य भूमिः तस्य तदांमत्य। सेठ रायपाल सुत राव राजमल्ल महाजन रक्ष पाल विनाणि यस्स दिवहिं। बेलार । मारवाड़ के देसूरी जिलेके घानेराव नामक स्थानके समीप यह ग्राम है। श्री आदिनाथ जी का मंदिर। ( 861 ) ओं संवत १२३५ वर्षे श्री. साधिग भार्या माल्ही तत्पुत्रा आववीर धदाक आवधराः आववीर पुत्र साल्हण गुण देवादि समन्वित आत्म श्रेयसे लगिका कारितवान। J( 862 ) ॐ संवत १२३५ वर्ष फाल्गुन वदि ७ गुरौ प्रौढ प्रताप श्री मद्धांधल देव कल्याण विजय राज्ये बाधल दे चैत्ये श्री नाणकीय गच्छे श्री शांति सूरि गच्छाधिपे शाश्च । आसीद् धर्कट वंश मुख्य उसनः श्राद्धः पुरा शुद्धधीस्तद्गोत्रस्य विभूषणां समजनि श्रष्ठि सपाश्र्वाभिधः । पुत्री तस्य वभूवतुः क्षितितले विख्यात कीर्ति अशं पूमल्ह प्रथमो वभूव सगुणी रामाभिधश्चापरः ॥ तथान्यः ॥ श्री सर्वज्ञ पदार्चने कृत मर्तिट्टाने दयालु महु राशादेव इति क्षितौ समभवत पुत्रोस्य घांघाभिधः । तत्पुत्रो यति संप्रतिः प्रति दिन गोसाक नामा सुधीः शिष्टाचार विशारदो जिन गृहोद्वारोद्यतो योऽजनि ॥२॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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