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________________ ( २१८) J(858 ) ओं॥ स्वस्ति श्री नप विक्रम समयातीत सं० १४४३ वर्षे कार्तिक वदि ११ शुक्र श्री नडुलाई नगरे पाहुमानान्वय महाराजाधिराज श्री वणवीर देव सुत राज श्री रणवीर देव विजय राज्ये अत्रस्थ स्वच्छ श्री मदवहद्गच्छ नभस्तल दिनकरोपम श्री मानतुग सूरिवंशोमव श्री धर्मचन्द्र सूरि पह लक्ष्मी श्रवणो उत्पलाय मानः श्री विनय चंद्र सूरि मिररूप गुण माणिक्य रत्नाकारस्य यदुवंश शृगार हारस्य श्री नेमीश्वरस्य निराकृत जगद विषादः प्रसाद समुद्दधे आचंद्रार्क नन्दतात् ॥ श्रो॥ J कोट सोलंकी। ( 859 ) ॐ ॥ स्वस्ति श्री न प विक्रम कालातीत संवत् १३८४ वर्षे चैत्र सुदि १३ शुक्र श्री आसल पुरे महाराजाधिराज श्री वणवीर देव राज्ये राउत माल्हणान्वये राउत सोम पुत्र राउत वांधी भार्या जाखल देवि पुत्रेण राउत मूल राजेन श्री पार्श्वनाथ देवस्य ध्वजारोपण समये राउत बाला राउत हाथा कुमर लुभा नीवा समक्ष मातृ पित्रोः पुण्यार्थं ढिकुय उबाडी सहितः प्रदत्तः आचंद्रार्क यावदियं व्यवस्था प्रमाण ॥ बहुभिर्व सुधा भुक्ता राजभिः सगरादिभिः । यस्य यस्य यदा भूमी सस्य तस्य तदा फलं ॥ शुभ भवतु ॥ श्री॥ धानेराव। ( 860 ) संवत् १२१३ भाद्रपद सुदि १ मंगल दिने श्री दंडनायक बैजल्ल देन राज्ये श्री वंस
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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