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________________ ( १६७ ) पाषाण और धातुओंके मूर्ति पर। ( 701 ) सं० ११८५ चैत्र सुदि १३ श्री ब्रह्माण गच्छे श्री यशोभद्र सूरिभिः ---- स्थाने देव सरण सुत बीशके ---श्री गुह -- कारिता। ( 702 ) संवत १२६० वर्षे माघ सुदि ५ सुक्र ० वढपाल श्री. जगदेवाभ्यां श्रेयौर्य पुत्र सामदेवेन भातृ पून सिंह समेतेन चतुर्विंशति पट्ट कारितः प्रतिाष्ठतं वृहद्गच्छीयैः श्रो शांति प्रा सूरिभिः। ( 703 ) संवत १४९८ वर्षे सा० साजण भार्या सिरिआदे पुत्र चांपाकेन भार्या चापल देष्यादि कुटुम्ब युतेन अनागत चतुविंशत्यां श्री समाधि विवं का० प्र० सपा श्री सोम सुन्दर सूरिभिः। (704 ) संवत १५०१ ज्ये. सुदि १० प्राग्वाट व्य. करणा सुत रामाकेन भार्या तीचणि युतेन श्रो क सुमतिनाथ विवं कारितं प्र० सपा श्री सोमसुंदर शिष्य श्री मुनि सुंदर सूरिभिः ।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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