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________________ (२) ( 397 ) नेमनाथजीके विवपर। ॥ सं० १९१० माघ शु० १४ शनी काष्ठासं (घ) मायुर गच्छ पुष्कर गण लोहाचार्य याम्नाय न देवेंद्र कीर्त्तिदेव तत्पह भ० जगत् कीर्चिदेव सत्पदे १० ललित कीर्तिदेव तत्पदे १० राजेन्द्र कीर्चदेव हदाम्नाय अग्रोत् कान्वय वासिल गोत्रे सा. श्री सोषीलाल तत्पुत्र याबु मुनिसुव्रत दासेन थी जिनालय पूर्वक श्री जिन विवं प्रविष्ठा कारापिता आरामपुर वास्तव्य---स्य रामसरा मध्ये श्रीरस्तु ॥ श्री ३॥ ( 328 ) ॥ श्री संवत १९१० शाके ॥ १७७५ साल मिती वैशाख शुक्ल पंचम्यां गुरौ पाटलीपुर सर जिनालय पूर्वक श्री श्री नेमनाथ मंदिरजी जेसवाल माणकचन्द तत्पुत्र मटरु मल तत्पुत्र सीवनलाल प्रतिष्ठो कारापितं श्रीरस्तु । (329) श्री स्थूलभद्रजी का मंदिर। ॥संवत १८४८ वर्षे मार्गशिर वदि ५ सोमवासरे श्री पाडलीवास्तव्य श्री सकल संघ समुदायेन श्री स्थलमद्र स्वामीजी प्रसादस्य कारापितं कार्य स्याग्रेस्वरी श्री सपा गच्छीय पार्दुः श्री लोढा श्री गुलाबचन्दजी प्रतिष्ठि तंसकल सूरिभिः । ( 330 ) चरण पर। सं० १८४८ ॥ भाद्र सुदि ११ श्री संघेन । श्रुत केवलि श्रोस्यूल भद्राचार्याणां देवगृहं कारयित्वा तत्र तेषां चरण न्यासः कारितः प्रतिष्ठितं श्री अमृतधर्मवाचनाचार्यैः ॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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