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________________ ( ८३ ) सेठ सुदर्शनजी का मन्दिर । ( 331 ) चरण पर । toreपदाप्तस्य श्री श्रेष्ठ सुदर्शनस्य इमे पादुके संप्रतिष्ठिते सकल संघेन शुभ संवत्सरे ॥ दादावाड़ी | ( 332 ) संवत १६८२ मार्गशिर्ष शुदि ५ सा० कटार मल तस्यात्मज सा० कल्याण मल पुत्र चिंतामणि श्री जिन कुशल सूरि० भ । वेगमपुर वास्तव्य । ( 333 ) 'संवत १६८९ वर्षे पूर्व देशे पाडलिपुर नगरे वेगमपुर -- (334 तपागच्छे भ० श्री ५ श्री हीर विजय सूरि जगत पादुकेभ्यो नमः पं० चंद्र कुशल गणि नित्यं प्रणमतिश्च । सं० १७६२ वर्षे कार्तिक शुक्ल ९ सा० वेणीदास पुत्र भीमसेन पुत्र मयाचन्द वीराणी गोत्रे प्रतिष्ठितं - वीराणी मयाचन्द प्र० क० पाडलीपुरे । (335) साध्वीजी के चरण पर । सं० १८४४ वर्षे शाके १७०९ प्रवर्त्तमाने मिति माघ मासे शुक्ल पक्ष सूरीशाषायां साध्वी महत्तरा सुजान विजयाजी सत् शिष्यणी दीप विजयाजी तत् शिष्यणी अंते वासिनी पान विजया कारापितं वाराणसी मनसा रामेन प्रतिष्ठा कारापितं शुभमस्तु ॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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