SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (८१) चन्द्र सूरिभिः मनेर वास्तव्य श्रीमालान्वये--वदलिया गोत्रे सुश्रावक श्री कल्याणचन्द तत्पुत्र श्री भग्गुलाल कीर्तचन्द्र तत्पौत्र किसनप्रसाद अभय चंद्रादि सपरियारेण स्वधेयोऽर्थं प्रतिष्ठा कारापिता पं । ग । कीर्युदयोपदेशात् । ( 322 ) श्री आगरा नगर वास्तव्य सं० पति श्री श्री चन्दपालेन प्रतिष्ठा कारिता। ( 323 ) ॥ संवत २४९ वर्षे वेशाप सुदि ३ श्री मुलसंघे महारक जी श्री जिन चन्द्रदेव साह जीवराज पापडीवाल नित्य प्रणमति सर मम श्री राजाजी स संघ--- ( 324 ) संयत १५४८ वर्षे वैसाष सुदि ३ मुलसंघे महारक श्री जिन चन्द्र सा. जिवराज पापडिवाल सहरम-सा श्री राजसी संघ रावल ॥ (325) ॥ संवत १६०४ ज्येष्ठ वदि ३ सोमवारे क्रुरवंशे महाराजधिराजजी श्री मत स्याहजा राज्य H० ॥ चंद्रकीर्तिजी तत्पदे भ० श्री देवेन्द्र कीर्तिजी सदाम्नाये सरस्वती गच्छे बलात्कारगण कुंदाचार्यान्वये शुभां। ( 326 ) संवत १७३२ वर्षे मार्गशिर्ष वदि पंचमी गुरी ढाकामध्ये ----काष्ठा संघ माथुर गच्छे पुष्कल गण लोहाचार्या न्वये दिगम्बर धर्म महारक रूपचन्द्र प्रतिष्ठितं अग्रवाल गांगलु गोत्रे सा० गुलाल दास मा० मुलादे पुत्रः। सावलसिंघवी अमरसिंघवी केसर सिंह वि---प्रतिष्ठा कारापितानि सेरपुरेन्तिके ---- ढाकायां प्रतिष्ठा । --- पादुकानां ॥ श्रेयोस्तुः॥ पादुका आदिनाथकी। गुरुपादुका ॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy