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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मायावी रानी और कुमार मेघनाद २५ कुमार मेघनाद अब राजा मेघनाद बन चुका था। कुमारी मदनमंजरी अब रानी मदनमंजरी बन गयी थी। राजा-रानी दोनों परमात्मा के दर्शन-पूजन करते हैं और उस दिव्य कटोरे की भी पूजा करते हैं। राजा-रानी जितना धन चाहते हैं...कटोरा उन्हें देता हैं...जो कोई दिव्य सुख उन्हें चाहिए वह कटोरे के प्रभाव से मिल जाता है। देवलोक के इन्द्र-इन्द्राणी जैसे सुखभोग में उनके दिन गुजरते हैं...बरस बीतते हैं। राजा-रानी दीन-दुःखी और गरीबों को रोजाना दस करोड़ सोनामुहरों का दान देते हैं। सज्जन पुरुष हमेशा उदारता से महान बनते हैं। राजा-रानी ने हजारों जिनमंदिर बनवाये...कुछ संगमरमर के, कुछ पत्थर के, तो कुछ सोने और चाँदी के जिनमंदिर बनवाये । पैसे का सदुपयोग इसको कहते हैं! राजा-रानी ने पाषाण की, चाँदी की, सोने की और रत्नों की करोड़ों जिनमूर्तियाँ बनवाई... जिसे जो अच्छा लगता हो... वह उसकी मूर्ति बनवाता है...राजा-रानी को भगवान बहुत अच्छे लगते थे... तो उन्होंने भगवान की मूर्तियाँ बनवाई। राजा-रानी जिनमंदिर में जाकर भव्य पूजाएँ रचाते थे। गीत-गान और नृत्य वगैरह करते थे। राजा-रानी प्रति वर्ष हजारों लोगों के साथ तीर्थयात्रा करते...रथयात्रा का आयोजन करते! गुणी व्यक्ति सत्कार्य करने में थकान अनुभव नहीं करते हैं! राजा ने अपने राज्य में हर प्रकार का कर-'टैक्स' माफ कर दिया था। हजारों श्रावकों को राजा ने करोड़पति बनाये और हजारों को लखपति बनाये...। प्रति माह राजा हजारों श्रावक-श्राविकाओं को प्रेम व आदर के साथ भोजन करवाता था। भोजन करवाकर उन्हें कीमती वस्त्र-अलंकार समर्पण करता। इस तरह साधर्मिक भक्ति करने से अनंत-अनंत पुण्य मिलता है...यह बात राजा अच्छी तरह जानता था । राजा-रानी दोनों सुबह-दोपहर-शाम को परमात्मा की विविध पूजा करते थे। पर्वतिथि व विशिष्ट दिनों में वे पौषध व्रत भी करते थे। रोजाना सुबह-शाम प्रतिक्रमण किया करते थे। हजारों राजाओं ने मेघनाद राजा को स्वेच्छया अपने सर्वश्रेष्ठ राजा के रूप में माना था। समुचे भारत पर मेघनाद राजा का प्रभाव छाया हुआ था। इस For Private And Personal Use Only
SR No.009636
Book TitleMayavi Rani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size1 MB
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