SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन- ६१ १४० राजा को बचा लिया था। पढ़ा है न आम राजा और बप्पभट्टीसूरिजी का जीवनचरित्र ? न पढ़ा तो हो तो अवश्य पढ़ लेना चाहिए। सत्पुरुषों का समागम कितना लाभदायी और कल्याणकारी है, वह बात आप लोगों के दिमाग में जँच जायेगी । दुर्जनों के समागम से मनुष्य का कितना अधःपतन होता है, यह बात भी इसी चरित्र ग्रंथ में पढ़ने को मिलेगी । दुष्ट आशयवाली पत्नी के समागम से पति का अधःपतन होता है। दुष्ट आचारवाले पति के समागम से पत्नी का सर्वनाश होता है । अधम आचार-विचारवाले मंत्री से राजा का पतन होता है । सदाचारी और सदाशयी मंत्री से राजा का और प्रजा का हित होता है। संबंध बाँधने से पहले सावधान : किसी भी व्यक्ति से संबंध बाँधते समय सावधान रहो । जाग्रत रहो । मात्र मीठे शब्दों से या फैशनपरस्ती से अथवा संपत्ति से आकर्षित होकर संबंध मत बाँधना। रूप के आकर्षण से भी संबंध नहीं बाँधना। जिस किसी से संबंध बाँधना हो, पहले उसके आचार और विचार परख लेने चाहिए सभा में से: विचारों का परिचय तो संबंध होने के बाद होता है न ? महाराजश्री : पहले भी हो सकता है ! बातचीत में विचारों के प्रतिबिंब पड़ते हैं। हाँ, कोई व्यक्ति मायावी हो और किसी स्वार्थ से आपके साथ संबंध बाँधना चाहता हो, तो वह व्यक्ति अपने पाप-विचारों को छिपा सकता है! संबंध होने के बाद ही वास्तविकता का खयाल आ सकता है । परन्तु साधारणतया प्रारंभिक काल में ही व्यक्ति के आचार-विचारों का परिचय मिल जाता है । मान लो कि प्रारंभ में खयाल नहीं आया, बाद में खयाल आया, तो संबंध तोड़ने में देरी नहीं करनी चाहिए। वैसी नैतिक हिम्मत आप में होनी चाहिए। ऐसा मत सोचना कि 'उसको जो करना हो वह भले करें, हमें वैसे पापाचार नहीं करने चाहिए, परन्तु संबंध तोड़ने की क्या आवश्यकता !' यदि ऐसा सोचकर संबंध बनाये रखोगे तो एक दिन आप और आपका परिवार उन पापाचारों में फँस ही जाएगा। आप नहीं फँसोगे तो आपके परिवार के लोग फँस जायेंगे ! एक सच्ची दास्तान : एक शहर में एक अच्छा परिवार रहता है। अभी है वह परिवार । अच्छा संस्कार समृद्ध परिवार था । उस परिवार के पास वाले ब्लॉक में एक नया किरायेदार रहने आया । उस परिवार में तीन भाई थे और माता-पिता थे। तीनों For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy