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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-६१ १४१ भाई सामान्य स्थिति के थे। नौकरी करते थे। परन्तु बोलने में चतुर थे। थोड़े ही दिनों में दोनों परिवारों में संबंध हो गया। तीन भाइयों का इस परिवार में आना-जाना शुरू हो गया । खाना-पीना और बैठना-उठना भी शुरू हुआ । उस संस्कारी परिवार में दो लड़कियाँ थीं। कॉलेज में पढ़ती थीं, इन तीनों भाइयों ने धीरे-धीरे दो लड़कियों का प्रेम जीतने का प्रयत्न शुरू किया। लड़कियाँ भी उन तीनों भाइयों के घर में जाने-आने लगी थीं। मामा की हिम्मत से भानजी बची : दो-तीन महीने के बाद, तीनों भाइयों के माता-पिता कार्यवश अपने वतन के गाँव में गये। इधर तीनों भाइयों ने अपना जाल अच्छी तरह बिछा दिया था। जाल में दो बहने फँस गई थीं। शारीरिक संबंध भी होने लगा था। दो बहनें बदनामी के भय से यह बात अपने माता-पिता से कह नहीं सकती थीं। तीनों भाई शैतान बन गये थे। लड़कियों का प्रतिदिन शील लूटने लगे थे। दो बहनों ने परस्पर कुछ विचार किया और प्रसंग उपस्थित कर वे दोनों बहनें दूर शहर में अपने मामा के घर चली गईं। मामा के पास एक दिन दोनों बहनों ने अपना दिल खोल दिया....फूट-फूटकर रोने लगीं। मामा बुद्धिमान् थे। दोनों को आश्वासन दिया और भविष्य में चिन्ता नहीं करने का विश्वास बंधाया। मामा अपनी बहन के घर पहुंचे। पड़ोसवाले तीनों भाइयों को देखा । उनकी शक्ति, बुद्धि....वगैरह माप लिया। अपनी बहन के परिवार के साथ के संबंध को भी जान लिया। मामा ने उन तीनों के साथ भी थोड़ा परिचय कर लिया। एक दिन मामा अपनी जेब में छोटी-सी रिवॉल्वर लेकर उन भाइयों के घर में गये । तीनों भाइयों के साथ गंभीरता से बात शुरू की | ज्यों ही दो बहनों की बात आई, तीनों भाई शंका से मामा को घूरने लगे। मामा ने स्पष्ट चेतावनी दे दी : 'तुम तीनों भाई यह जगह खाली कर दूसरी जगह चले जाओ। इस शहर को ही छोड़ दें।' तीनों भाई में से एक बोला : 'यदि हम नहीं जायेंगे तो आप क्या कर लेंगे?' मामा ने धीरे से जेब में से रिवॉल्वर निकाली और कहा : 'मैं क्या कर सकता हूँ यह अभी देखना है या बाद में?' रिवॉल्वर देखते ही तीनों काँपने लगे और कह दिया : 'हम आज रात को ही यहाँ से चले जायेंगे....।' और रात में वे तीनों चुपचाप वहाँ से चले गये। बाद में मामा ने अपनी बहन को सावधान करते हुए कहा : 'तेरे घर में दो जवान लड़कियाँ हैं और तू तेरे घर में हर किसी को आने देती है....इसका For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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