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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-३६ १४१ वात्सल्य से हराभरा रखना और धर्मपुरुषार्थ में जाग्रत रखना वगैरह स्त्री के कर्तव्य होते हैं। धन कमाने की, परिवार की सुरक्षा करने की, परिवार की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने की, सन्तानों की शिक्षा से शादी तक की जिम्मेदारी पुरुष की होती है। इस प्रकार स्त्री-पुरुष अपनी अपनी जिम्मेदारी प्रेम से, कर्तव्य से निभाते हैं। वर्तमान में शादी बड़ी उम्र में क्यों? : __ कुछ वर्षों से इस विषय में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया है। शादी की उम्र बढ़ गई है। लड़कियों की शादी १८ वर्ष से कम उम्र में नहीं होती हैं और लड़कों की २०-२२ वर्ष पहले नहीं होती है। छोटे गाँवों में छोटी उम्र में कहीं कहीं पर होती हैं शादियाँ, परन्तु प्रायः अपने जैनसमाज में नहीं होती हैं। ___'मोडर्न' गिने जानेवाले लोगों में तो लड़कियाँ पचीस-पचीस वर्ष की आयु में शादी करती हैं! लड़के २८-२८ वर्ष की उम्र में शादी करते हैं! चूँकि शादी से पूर्व प्रायः इन लोगों में मैथुन-प्रवृत्ति प्रविष्ट हो ही गई होती है। कामवासना को शांत करने के लिए, भिन्न-भिन्न प्रकार के सजातीय-विजातीय संबंध ये लोग करते रहते हैं। कालेज में लड़के-लड़कियों की सह-शिक्षा होती है। यौवनकाल में स्त्री-पुरुषों का मुक्त सहचार मैत्री तक मर्यादित नहीं रह सकता है, वे वासनाविवश बन ही जाते हैं और अंततोगत्वा शारीरिक संबंध हो जाता है। स्त्री को भी वही शिक्षा दी जा रही है जो पुरुष को दी जाती है! स्त्री के जीवन में अनुपयोगी शिक्षा पाने के लिए ५-७ वर्ष ऐसे ही बेकार व्यतीत हो जाते हैं। शिक्षा का तो मात्र नाम होता है, लड़की 'डिग्री' लेकर और ब्रह्मचर्य गँवाकर कालेज से बाहर निकलती है। फिर वह नौकरी खोजने लगती है। रुपये पाने के लिए आजकल लड़कियाँ कैसी निम्नस्तर की नौकरियाँ करती हैं, आप लोग जानते होंगे? कुछ बोलने जैसा नहीं है। चरित्रभ्रष्टता की भयानक खाई में स्त्री गिर गई है। ___ आज स्वयं के चारित्र की दृष्टि से शादी के विषय में सोचा नहीं जाता है, आज सोचा जाता है सुख-सुविधा की दृष्टि से! स्वतंत्रता की दृष्टि से! शादी के बाद भी आज स्त्री परपुरुष के साथ घूमने जाने की, घंटों तक एकांत में बैठने की, क्लबों में जाने की रेस्टरन्टों में भोजन करने की स्वतंत्रता चाहती है। For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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