SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-१२ १६१ वैद्य और हकीमों को बताया, दवाई की, परन्तु अच्छा नहीं हुआ। स्वास्थ्य बिगड़ता चला। किसी ने कहा : कोई दैवी उपद्रव लगता है, किसी मांत्रिक को बताओ। शहर में एक अजैन मांत्रिक था, निःस्वार्थ भाव से लोकसेवा करता था। यह युवान उसके पास गया । मांत्रिक ने युवान को देखा, युवान की सारी बातें सुनीं। उसने कहा : 'तुम जैन हो न? जैनधर्म का महामंत्र नवकार तुम्हें नहीं आता? तुम नहीं जानते? तुम रोजाना एक हजार महामंत्र का जाप करो। तुम्हें अच्छा हो जाएगा।' युवान क्या बोले? वह जानता था नवकार मंत्र! माला भी फेरता था नवकार मंत्र की। परन्तु वह अनभिज्ञ था महामंत्र के प्रभावों से। एक अजैन विद्वान के मुख से जब उसने नवकार मंत्र की महिमा सुनी, उसके मन में श्रद्धा उत्पन्न हुई, विश्वास पैदा हुआ, उसने विधिपूर्वक महामंत्र की आराधना शुरू कर दी। थोड़े दिनों में ही वह स्वस्थ हो गया। आप लोग यंत्रशक्ति से जितने परिचित हो, उतने मंत्रशक्ति से परिचित नहीं हो। इसलिए पास में अनन्त शक्ति का स्रोत होते हुए भी आप दूसरे स्थानों में भटकते हो । बाबा-फकीरों से डोरे-धागे करवाते हो और क्या क्या करवाते हो राम जाने! श्रद्धा हमेशा 'ब्लाइन्ड' ही होगी : - इस महामंत्र के ६८ अक्षर हैं और एक-एक अक्षर दिव्य शक्ति का भण्डार है। एक-एक अक्षर भी जब नरक की वेदनाओं को मिटा सकता है तो फिर मामूली कष्ट और उपद्रव क्यों नहीं मिटे? चाहिए पूर्ण श्रद्धा और विश्वास । श्रद्धा और विश्वास से मनुष्य निर्भय बनता है। शंका और अविश्वास ही मनुष्य को भयभीत करता है। 'संशयात्मा विनश्यति ।' संशय मारता है मनुष्य को । अगम अगोचर तत्त्वों की आराधना में श्रद्धा अनिवार्य तत्त्व है। यदि उन तत्त्वों के अस्तित्व में संशय हुआ, उन तत्त्वों के प्रभाव के विषय में संशय हुआ, तो काम से गए समझो। प्रश्न : अंधश्रद्धा तो नहीं होनी चाहिए न? उत्तर : श्रद्धा अंधी ही होती है! देखे वह श्रद्धा नहीं, देखता है ज्ञान! श्रद्धा प्रेममूलक होती है। प्रेम अंधा होता है, इसलिए श्रद्धा भी अंधी होती है। Faith is always blind. आप लोग किसे अंधश्रद्धा कहते हो? जिस बात को आप समझते नहीं और दूसरे समझते हैं, दूसरों की श्रद्धा को अंधश्रद्धा कहते हो। माता पर आपकी श्रद्धा कैसी है? वह जो भोजन परोसती है आप खा लेते हो! श्रद्धा है, इसलिए आप भोजन का प्रयोगशाला में 'टेस्ट' नहीं करवाते हो। For Private And Personal Use Only
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy