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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-१२ १६० बनकर जाप कीजिए नवकार मंत्र का । द्वेषरहित बनकर ध्यान कीजिए पंचपरमेष्ठि भगवंतों का | उत्साह से, वीर्योल्लास से करिए आराधना परमकृपानिधि परमात्मा की। आप भी धर्मआराधना का अद्भुत फल पा सकोगे। पथमिणी लीलावती रानी को श्री नवकार मंत्र की विधिवत् आराधना कराना चाहती है। उसने सर्व प्रथम लीलावती को भयमुक्त कर दिया। राजा के प्रति कोई द्वेष नहीं रहने दिया। जीवन की निराशा को मिटा दिया । नवकारजाप की विधि : 'तुम यहाँ श्री पार्श्वनाथ भगवंत के सामने नवकार मंत्र का जाप करना । शरीरशुद्धि कर, शुद्ध श्वेत वस्त्र धारण कर, श्वेत वर्ण की माला से पूर्व दिशा में सन्मुख बैठकर, पद्मासन लगाकर, दृष्टि को नासिका के अग्रभाग पर स्थापित कर, एकाग्र चित्त से जाप करना । जाप में तुम तल्लीन बनोगी, कोई फालतू विचार तुम्हारे मन में नहीं आयेंगे। एक-एक नवकार का जाप करते जाना और एक-एक श्वेत पुष्प परमात्मा के चरणों में चढ़ाते जाना। त्रिकाल देववंदन करना। प्रतिदिन श्वेतवर्ण के द्रव्यों से एकासन का व्रत करना। दिन में एक बार ही भोजन! एक लाख नवकार मंत्र का जाप पूर्ण करना है।' पथमिणी ने श्री नवकार मंत्र की आराधना की विधि बताई। क्योंकि लीलावती का यह प्रथम अवसर ही था नवकार मंत्र की आराधना करने का। उसने संपूर्ण विधि की जानकारी प्राप्त कर ली। आप लोगों ने भी जानकारी प्राप्त की है न? नवकार मंत्र का जाप करते हो न? रोज कितना जाप करते हो? १०८ नवकार मंत्र का जाप तो करना ही चाहिए, विधिवत करना चाहिए | धर्मग्रन्थों में कहा गया है कि प्रतिदिन १०८ नवकार का जाप करनेवालों को कोई दुष्ट देवों का उपद्रव नहीं होता है। कोई भूत, पिशाच, व्यंतर का उपद्रव नहीं होता है। कोई मनुष्य उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है। 'जस्स मणे नवकारो तस्स किं कुणई संसारो?' जिसके मन में श्री नवकार मंत्र है उसको संसार क्या कर सकता है? कुछ बिगाड़ नहीं सकता। है श्रद्धा? है विश्वास? जन्म से ही नवकार मंत्र मिल गया है न? इसलिए सही रूप से महामंत्र का मूल्यांकन नहीं कर पाये हो। जिनको काफी खोजने पर मिला है नवकार मंत्र, वे लोग भले जैन नहीं हैं, अजैन हैं, परन्तु पूर्ण श्रद्धा से उसका जाप-ध्यान करते हैं और दिव्य अनुभव करते हैं। जैनेतर मांत्रिक नवकार मंत्र देता है : एक जैन युवान था। उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया। डॉक्टरों को बताया, For Private And Personal Use Only
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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