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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-१२ १५७ सिद्धांत और प्रयोग : आपको धर्म की शरण स्वीकार करनी है न? तो धर्म का स्वरूप ठीक ढंग से समझ लो। एक-एक क्रिया प्रयोगात्मक ढंग से किया करो। प्रयोगशाला में, 'लेबोरेटरी' में विद्यार्थी प्रयोग करते हैं न? कैसे करते हैं? कब करते हैं? पहले उस प्रयोग के सिद्धान्त समझते हैं, फिर अध्यापक के मार्गदर्शन में प्रयोग करते हैं। आप लोगों ने सिद्धान्तों का अध्ययन किया है? नहीं किया है और प्रयोगशाला में चले जाते हो! परमात्मा का मन्दिर एक प्रयोगशाला है। आध्यात्मिक शक्ति जाग्रत करने की प्रयोगशाला है। उपाश्रय भी एक प्रयोगशाला है। जहाँ आत्मस्वरूप पाने के भिन्न-भिन्न प्रयोग होते हैं। 'यथोदितं' अनुष्ठान करने का मतलब ही यह है कि अपन सिद्धान्त के अनुसार अनुष्ठान करें ताकि वह अनुष्ठान 'धर्म' बने। लीलावती आत्महत्या करने पर उतारू हो गई! ___ छोटा-सा भी अनुष्ठान 'यथोदितं' किया जाय तो वह धर्मानुष्ठान उसका फल देगा ही। नवकार मंत्र की एक माला गिनने का ही अनुष्ठान हो, जैसे माला गिनने की विधि बताई गई हो, वैसे गिनो। आप उस अनुष्ठान का प्रभाव अनुभव करोगे ही। मांडवगढ़ की महारानी लीलावती को महामंत्री पेथड़शाह ने हवेली के भूमिगृह में गुप्तवास में रखा था तब लीलावती को महामंत्री ने कौन-सी धर्मआराधना बताई थी? श्री नवकार मंत्र के जाप की! क्योंकि रानी का हृदय अत्यन्त व्यथित था, अपने दुःख से ही व्यथित था, ऐसा नहीं, 'मेरे निमित्त महामंत्री पर कलंक आया । मेरी वजह से अब भी उनको कितने कष्ट आएँगे? मेरी सुरक्षा के लिए कितना दुःसाहस किया उन्होंने। मुझे इन्होंने अपनी हवेली में रख लिया, यदि महाराजा ने जान लिया तो?' लीलावती डर से काँपने लगी। उसने एक निर्णय कर लिया : 'मुझे अब जीना ही नहीं है, मैं आत्महत्या करके मर जाऊँगी...।' जब रानी आत्महत्या करने जा रही थी, महामंत्री की पत्नी पथमिणी पहुँच गई भूमिगृह में अचानक । उसने रानी को रोक लिया आत्महत्या करने से | _ 'क्यों ऐसा अकार्य कर रही हो? आत्महत्या करने से कभी दुःखों का अन्त नहीं आता, दुःख समताभाव से भोग लेने से समाप्त हो जाते हैं। यहाँ तुम निर्भय हो, निश्चिंत बनकर रहो इधर, तुम्हें कोई कष्ट नहीं होगा।' पथमिणी ने आश्वासन दिया। रानी ने कहा : 'मैं ऐसा कलंकित जीवन जीना कतई For Private And Personal Use Only
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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