SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सर्व दुःखों से मुक्ति सर्व दुःखों से मुक्ति बाद में बहुत खुश हो गया। वो लडका फिर वकील को बोलने लगा, 'वकील साहब, एक काम करो तो आपको तीन सौ रूपये ज्यादा दे दूँगा।' वकील ने पूछा, 'क्या काम करना है?' तब लडके ने बताया. मेरे Father की court में थोडी नाककट्टी होनी चाहिये!!! वो वकील ने बोला कि, 'वो तो सरल बात है, हम नाककट्टी करा देंगे।' बोलिये, अब खुद का लडका कैसा हो सकता है? ये तो ऋणानुबंध है, हिसाब है। हिसाब में कुछ बाकी हो तो जरूर आयेगा और हिसाब नहीं हो, चोपडा (बही) में क्लीयर हो तो कोई नहीं आयेगा! दादाश्री : फिर ये correct नहीं है, temporary है। मगर temporary भी नहीं पूरा। Temporary भी जो 50 years, 60 years correct होता तो फिर हर्ज नहीं। मगर temporary भी correct नहीं है। ये खाट है, इसके साथ ऐसे आधार रखकर बैठे तो इसका आधार अच्छा है कि हम कभी गीर नहीं जाते। मगर ये जिन्दे आदमी का आधार रखा तो कभी भी गीर जाते है। मगर nature का arrangement ऐसा है कि एक दूसरे के बिना चलता ही नहीं। ऐसा temporary भी थोडे time के लिए रहता है, एकदम चला नहीं जाता। मगर वो खाट भी कोई दफे तो तूट जाती है न? याने ये भी relative है। ये सब adjustment है और वो सब relative है। और ये body के साथ भी अपना relative adjustment है, real adjustment नहीं है। ये body भी एकदम चली नहीं जाती, मगर वो भी real adjustment तो नहीं है। ये मनुष्य का शरीर है, तो इससे अपना काम कर लेना है। Self realisation कर लो। फिर ये शरीर चला जाये तो कोई हर्ज नहीं। ये काम कर लो। काम नहीं कर लिया तो मनुष्य जन्म ऐसे ही व्यर्थ चला जाता है, waste चला जाता है। ये जो आपका लडका है, उसका आपके साथ ग्राहक और व्यापारी के जैसा संबंध है। व्यापारी को पैसा नहीं दिया तो माल नहीं देगा और व्यापारी माल अच्छा देगा तो ग्राहक लेगा, ऐसा व्यापारीग्राहक का संबंध है। आप लडके को प्रेम दोगे तो वो भी आपके साथ अच्छा रहेगा, आपको नुकसान नहीं करेगा। उसको तुम गाली दोगे, तो वो भी तुमको मारेगा। ये लडका-लडकी, सच्चे लडका-लडकी नहीं रहते किसी के। आज के लडके कैसे हैं कि उसको बाप जरा गाली दे, गुस्सा करे तो वो क्या करेंगे? बाप को छोड़कर चले जायेंगे। अरे, Court में दावा भी करेंगे। एक लडका उसके बाप के सामने केस जीत गया। प्रश्नकर्ता : पत्नी के प्रति फर्ज है, पुत्र के प्रति फर्ज है, वो सब फर्जे तो अदा करनी पड़ेगी न? दादाश्री : फर्ज याने फरजियात। आप नहीं करो, आपके विचार में नहीं हो तो भी करना पडेगा। वो सब फरजियात है। ___कोई चीज ये दुनिया में voluntary है नहीं। जन्म से मृत्यु तक कोई चीज voluntary नहीं है। वो सब उसको मानते है voluntary है, मगर exactly में ऐसा नहीं है। प्रश्नकर्ता : तो voluntary क्या है? दादाश्री : Voluntary है, मगर वो जानते नहीं। Voluntary अंदर है, वो मालूम नहीं है और जो voluntary नहीं है, फरजियात है, उसको वो अपना duty बोलते है। प्रश्नकर्ता : Society में रहते है, तो ये सब relation maintain करने चाहिये। दादाश्री : हाँ, संसार में रहना ही चाहिये और औरत के साथ सिनेमा में जाना चाहिये, लडके के साथ बैठना चाहिये, साथ में खाना
SR No.009601
Book TitleSarva Dukho Se Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size94 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy