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________________ सर्व दुःखों से मुक्ति सर्व दुःखों से मुक्ति प्रश्नकर्ता : नहीं, सबके लिए होता है। दादाश्री : सबका? ये world में सबके लिए आपको ऐसा दुःख होता है? नहीं, आपको सबके लिए ऐसा नहीं होता है। समानता होनी चाहिये। समानता हो जाये तो सब तुम्हारी इच्छा के मुताबिक हो जाये। ऐसी समानता नहीं होती है आपको, इसलिए ऐसा दुःख होता है। समानता चाहिये न? ये तो स्वार्थ की बात है कि ये दूसरे का है, वहाँ आपको समानता नहीं रहती। ये जो दुनिया के संबंध है, वो तो रिलेटिव संबंध है, रियल नहीं है। All these relatives are temporary adjustments. जो आँख से देख सकते है, कान से सुन सकते है, वो सब टेम्पररी एडजस्टमेन्ट है और आप परमेनन्ट है । जो relative adjustment है, वो तो temporary ही है। कोई जल्दी जाता है, कोई देरी से, वो भी relative है। सब relative है। उसमें कोई real है, permanent है, ऐसा मान लेना ही नहीं। तब हमने friend circle को बड़ी पार्टी दी थी। बच्चा भी ऐसा रूपवाला था, beautiful था। सब लोग बोलते था कि हमने जो संतो की सेवा की थी, उसका फल मिला है। देढ साल के बाद वो off हो गया। इधर हमने friend circle को फिर से बड़ी पार्टी दी, जलसा करवाया। सब लोग समझने लगे कि दसरा लडका आ गया। वे सब पूछने लगे। वो पार्टी पूरी होने के बाद हमने बोल दिया कि जो गेस्ट आया था, वो चला गया!!! इसके बदले में मैंने पार्टी दी है। उसके थोडे साल बाद लडकी हो गई। वो भी चली गयी। फिर उसके लिए भी पार्टी दिया!!! क्योंकि मैं जानता हूँ कि कोई आत्मा किसी का लडका हो सकता ही नहीं। वो सिर्फ wrong belief ही है। आपका लडका हो तो उसको तुम एक घंटे खूब गाली दो, मारपीट करो, तो फिर वो क्या बोलेगा? प्रश्नकर्ता : बाप का मानेगा नहीं। दादाश्री : नहीं, वो आपके साथ झगडा करेगा और court में चले जायेगा। अपना लडका हो तो ऐसा नहीं करेगा। उसको मार डालो तो भी ऐसा नहीं करेगा। मगर अपना लडका होता नहीं न? सिर्फ wrong belief है और relative view point है। वो real view point नहीं। इधर कोई आदमी मर जाता है तो फिर Father के पीछे उसका लडका कोई मर जाता है क्या? जितना आपको इनके साथ संबंध था. हिसाब था. उतना हिसाब पूरा हो गया, चूकते हो गया तो वो चला जायेगा। ये तो गेस्ट है सब। अपने घर गेस्ट आते है, वो फिर चले जाते है कि नहीं चले जाते? अच्छा गेस्ट हो तो आप उसको बोले कि 'आप नहीं जाओ, आपके घर को नहीं जाओ, हमारे यहाँ रहो' तो क्या वो रहेगा? नहीं रहेगा। ऐसे ये सब कुदरत के गेस्ट है। आप भी कुदरत के गेस्ट है। कोई किसी का लडका नहीं है। ये सब dramatic है। जैसे drama में लडका होता है, तो वो drama के time तक ही होता है। इस तरह लडका कोई किसी का होता ही नहीं। प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री: तो ये real बात नहीं है। ये सब relative बात है। आपका लडका हो, उसको एक घंटा गाली दो तो वो एक घंटे में अलग हो जाता है न? और wife के साथ झगडा हो जाये तो? Divorce भी हो जाता है न? इधर जो belief है, कि मेरे को मकान नहीं है, मेरे को लडका नहीं है, मेरे को लडकी नहीं है, ये सब wrong belief है। 1928 में हमको पहला लडका हुआ था। उसका जन्म हुआ, प्रश्नकर्ता : हाँ, हो जाता है।
SR No.009601
Book TitleSarva Dukho Se Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size94 KB
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