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________________ कर्म का सिद्धांत कर्म का सिद्धांत न? मानेगा तो भी कायदे में ही रहना पड़ेगा। इसमें आपका कुछ नहीं चलेगा! किसी का कुछ नहीं चलेगा। The world is ever regular! यह world कोई दिन भूलचूकवाला हुआ नहीं है। यह world ever regular ही है और वो आपके ही कर्म का फल देता है। उसको regularity में कोई हरकत नहीं। वो हमेशा न्यायी ही रहता है। कुदरत न्यायी ही है। वो कुदरत न्याय के बाहर कभी जाती ही नहीं। दादाश्री : तो फिर किसके है? तुम्हारे खुद के है के दूसरे के? प्रश्नकर्ता : Expectation जो है, वो तो अपने खुद के ही रहते है। दादाश्री : हाँ, लेकिन वह बुरे पसंद नहीं आते है न? जो कुछ होता है, वो अपना expectation है, तो बुरे क्युं पसंद नहीं आते है? प्रश्नकर्ता : अपने जो expectation है, वो तो हम चाहते है कि अच्छे ही रहने चाहिए, लेकिन ऐसे नहीं होता न? दादाश्री : क्यों? उसमें तुम खुद' नहीं हो? प्रश्नकर्ता : है। दादाश्री : तो फिर बदलाव क्यों नहीं करता? जिधर signature करता है, वो सब समझकर करता है। तो जो signature किया है, उसका हिसाब से expectation आता है। फिर अभी क्यों गलती निकालता है? अभी गलती क्यों लगती है? प्रत्येक effect में causes किसका? दादाश्री : इस शरीर में कितने साल रहना है? प्रश्नकर्ता : जब तक अपने expectation है, fulfilment है, वो पूरे नहीं होते, वहाँ तक तो रहेंगे न? दादाश्री : वो हिसाब है, वो तो पूरा हो जाता है। मगर नया क्या होता है उसमें से? प्रश्नकर्ता : एक के बाद एक नयी वस्तु तो आती ही है। दादाश्री : नयी वस्तु अच्छी आनी चाहिये कि बूरी? प्रश्नकर्ता : अच्छी ही आनी चाहिए। दादाश्री : तुमको पसंद ना आये ऐसा खराब expectation किया है, पिछले जन्म में? प्रश्नकर्ता : मालूम नहीं। दादाश्री : तुमको पसंद ना आये ऐसा कभी आता है? प्रश्कर्ता : आता है। दादाश्री : जो तुमको पसंद नहीं आये वो क्यों आता है? किसी ने जबरजस्ती किया? प्रश्नकर्ता : नहीं। प्रश्नकर्ता : नहीं, गलती नहीं लगती। कुछ expectation ऐसे होते है कि अपनी तरफ से परा नहीं कर सकते है। दादाश्री : तुम्हारा तो expectation है, वो पूरा नहीं होता? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : Expectation दो प्रकार के है। पिछले जो expectation है, वो पूरे हो जायेगें और नया expectation है, वो अभी पूरा नहीं हो जायेगा। जो नया है, वो पूरा नहीं होनेवाला। वो अगले जन्म में आयेगा। जो पुराना है, वो इधर पूरा होता है। पुराना expectation है, वो effect के रूप में है, जिसको पिछले जन्म में किया था। ये जन्म में उसकी effect आ गयी है, Effect में कुछ बदल नहीं सकता है। अभी अंदर causes हो रहा है, उसकी अगले जन्म में effect आयेगी। इसीलिए
SR No.009588
Book TitleKarma Ka Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size274 KB
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