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________________ चमत्कार चमत्कार तो नारायण स्वरूप थे। वह जानते हो आप? आपको उनकी जितनी कीमत नहीं है, उतनी क़ीमत हमें है। क्योंकि नारायण स्वरूप मतलब नर में से नारायण हुआ पुरुष! कौन वह पुरुष! शलाका पुरुष, वासुदेव नारायण! तो वासुदेव नारायण की आबरू ले ऐसा यह जगत्, तो दूसरे लोगों का क्या हिसाब? तो दूसरे लोग तो बेकार रौब ही मारते हैं न! आपको समझ में आता है न? ही यहाँ पर आएँगे। नहीं तो इसमें हम एक ही साधना करें न, तो यह टेबल ऐसे ही उछलता रहे। पर उससे तो सभी लोग इकट्ठे हो जाएँगे, फिर क्या जवाब दें हम लोग?! और भीड का क्या करना है? इसमें से बीन-बीन-बीनकर मोती, सच्चे हीरे निकाल लेने हैं ! इस दूसरे सब कचरे का क्या करना है? नहीं तो यह टेबल तो चारों पैरों पर कूदेगा, ऐसे ही, कुछ भी यंत्र रखे बिना कूद सके ऐसा है, वह साइन्स है। उसमें आज के साइन्टिस्ट नहीं समझेंगे कि क्या साइन्स है यह!! यह रियल साइन्स है। और उन लोगों का तो रिलेटिव साइन्स है। अब वह उन्हें क्या समझ में आएगा बेचारों को? इसलिए, 'दादा' चमत्कार करते हैं, वैसा लोग सुनें न तो सारा उल्टा माल घुस जाएगा, गलत माल सारा यहाँ पर आ जाएगा! यह चमत्कार देखने जो बुद्धिशाली वर्ग है न, वह तो यहाँ आएगा ही नहीं। सारा कौन-सा वर्ग आएगा? सारे चमत्कार में माननेवाले लोग ही आएँगे! चमत्कार को सच्चा मनुष्य देखना ही नहीं चाहता। बुद्धिशाली वर्ग तो चमत्कार की बात सुने न, तो वहाँ से भाग जाए। बुद्धिशाली को चमत्कार पुसाता ही नहीं। चमत्कार तो जादू है, मूर्ख बनाने के धंधे हैं ऐसे ! द्रौपदी के चीर का चमत्कार (?) प्रश्नकर्ता : फिर भी कृष्ण भगवान ने द्रौपदी के चीर बढ़ाए थे, ऊपर रहकर, ऐसा कहते हैं न? और एक वस्तु है न, कि ऐसी वस्तुओं के कारण प्रजा के अंदर धार्मिक भावना बनी रहती है न? दादाश्री : धर्म की भावना बनी रहती है न, वह कितने ही वर्षों तक बनी रही और फिर बाद में रिएक्शन आया। ऐसा होता होगा?! उल्टा धर्म से पर हो गए ये लोग! इसलिए वैज्ञानिक, सच्ची रीत ही होनी चाहिए कि जिसके कारण भावना भले ही देर से बैठे. पर हमेशा के लिए टिके। वह दिखावा तो नहीं चलेगा। नहीं तो वह पोल कितने वर्षों तक चलेगी?! फिर भी अपने हिन्दुस्तान में यह सब ऐसे ही किया हुआ है। ऐसे गप्प लगाकर ही पोल चलाई है। 'ऐसी पोल किसलिए मारते हो? आपको क्या चाहिए कि यह पोल मारते हो? किसी चीज़ के भिखारी हो!' ऐसा कहना चाहिए। और अपने 'यहाँ' पर तो कैसा है? बिलकुल पोल नहीं है न! मतलब ऐसा चोखा हो जाएगा तो ही हिन्दुस्तान के दिन बदलेंगे! चमत्कार को नमस्कार करें, वे... यह तो हमें एक व्यक्ति बड़ौदा में कहने लगा। कहता है, 'दादा, कुछ चमत्कार करो न कि पूरी दुनिया यहाँ पर आए।' पर मैंने कहा, 'इस दुनिया के मनुष्य तो चमत्कार करें तो नमस्कार करने आते हैं। पर गायेंभैंसें, भेड़, कुत्ते कहाँ चमत्कार को नमस्कार करते हैं? सिर्फ ये मनुष्य चमत्कार मतलब अंधश्रद्धा प्रश्नकर्ता : सत्पुरुष चमत्कार करते हैं क्या? दादाश्री : सत्पुरुष चमत्कार नहीं करते और चमत्कार करें तो वे सत्पुरुष नहीं हैं। वे फिर जादूगर कहलाते हैं। प्रश्नकर्ता : पर मुक्ति साधना में सफलता प्राप्त करनेवाले चमत्कार तो सर्जित कर सकते हैं न? दादाश्री : उनके चमत्कार ऐसे नहीं होते, उनमें इस तरह कुमकुम निकालने के या ऐसे-वैसे चमत्कार नहीं होते हैं। उसमें तो जगत् में देखा नहीं हो वैसा हमें परिवर्तन लगता है। पर फिर भी उसे चमत्कार नहीं मान सकते। ये चमत्कार तो जादुई कहलाते हैं!
SR No.009581
Book TitleChamatkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size228 KB
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