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________________ आत्मबोध आत्मबोध दादाश्री : लेकिन आपकी इच्छा तो है न, रीयलाइजेशन करने की? ये आपने सच मान लिया वो ही मिथ्यात्व है, वो ही रूट कॉज़ है। वो भौतिक सुख की इच्छा ही मिथ्यात्व नहीं है। हम ये आपकी रोंग बिलीफ फ्रेक्चर कर देते हैं और राइट बिलीफ बिठा देते हैं। हम आपके भौतिक सुख फ्रेक्चर नहीं कर सकते। उसको फ्रेक्चर करने की कोई जरूरत ही नहीं। जिसका जो खाने का विचार है, वो बोलते हैं, कि साहब, आज हमको जलेबी खाने का विचार है। तो हम बोलते हैं कि 'खाओ, आराम से खाओ।' हमको उससे कुछ तकलीफ नहीं है। प्रश्नकर्ता : अभी तो जैसा चलता है ऐसा चलने दो। सेल्फ रीयलाइज तो होना चाहिए लेकिन सेल्फ रीयलाइज करने के लिए वो शक्ति और स्टेज आनी चाहिए। दादाश्री : इसमें स्टेज कैसी ? आप पुनर्जन्म में मानते है कि नहीं मानते? पात्रता का प्रमाण ! कभी चिंता कुछ होती है? प्रश्नकर्ता : चिंता तो रहती ही है। दादाश्री : एक साल में कितना टाइम? दो टाइम? प्रश्नकर्ता : चिंता तो रोज ही होती रहती है। दादाश्री : किस लिये चिंता करते हो? कुछ कम है आपके पास? प्रश्नकर्ता : भगवान की दया से सब कुछ है। दादाश्री : तो फिर चिंता क्यों करते हो? प्रश्नकर्ता : प्रोफेशन (व्यवसाय) में तो चिंता आ ही जाती है। प्रश्नकर्ता : मानता हूँ। दादाश्री : जो पुनर्जन्म में मानते हैं, वो स्टेजवाले बोले जाते हैं। जो पुनर्जन्म में समझते नहीं, उनके लिए स्टेज नहीं है। हमने इन सभी को सेल्फ रीयलाइज करा दिया है, फिर कभी कुछ भी चिंता नहीं होती और धंधा-सर्विस सब कुछ करते हैं। प्रश्नकर्ता : संसार में ऐसा नहीं हो सकता है। दादाश्री : संसार के बाहर दूसरी जगह किधर है? संसार के बाहर तो कोई जगह ही नहीं है। प्रश्नकर्ता : जब तक संसार है, तो हम सेल्फ रीयलाइज नहीं कर सकते। उसके लिए संसार से अलग होना चाहिए। दादाश्री : संसार से अलग कोई हुआ ही नहीं था। कृष्ण भगवान भी संसार में पत्नी के साथ रहते थे। You are Ravindra is correct by relative view point and who are you by real view point ? दादाश्री : waste of time and energy. बड़े C.A. हो गये ! C.A. तो किसको बोला जाता है? जो बहुत विचारशील होते है, कि ये सब किससे होता है? मैं कौन हूँ? ये सब क्या है? कहाँ से आया? कैसे मैं C.A. हो गया? C.A. कौन हो गया? ये सब रीयलाइज होना चाहिए। प्रश्नकर्ता : रीयलाइजेशन के लिए, खुद कौन है वो समझने की अपनी ताकत नहीं। प्रश्नकर्ता : who is to judge that ? रीयल में कौन होना चाहिए? दादाश्री : वो जो रीयल है न, वो समझ सकता है। जो रिलेटिव
SR No.009577
Book TitleAtmabodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages41
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size91 KB
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