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________________ आत्मबोध ४५ है न, वो समझ नहीं सकता और जिसने रीयलाइज किया है, वो समझ सकता है। आप रवीन्द्र हैं, वो बात सच्ची है? वो तो आपका नाम है, आप खुद कौन है? प्रश्नकर्ता : No body ! दादाश्री : No body ? No body ऐसा नहीं बोला जाता है। खुद तो हैं ही, लेकिन आप बोलते हैं न, 'This is my hand, This is my head, my eyes'. ऐसा आप बोलते हैं, तो बोलनेवाले आप कौन हैं? ऐसी तलाश तो करनी चाहिए न ? No body बोल नहीं सकते। तो आप खुद कौन है, इसका रीयलाइज नहीं किया है? ये घड़ी रीयलाइज करके लाये थे? घड़ी चलती है कि नहीं चलती है ? प्रश्नकर्ता: हाँ। : दादाश्री और वाइफ को रीयलाइज किया था कि नहीं? प्रश्नकर्ता: हाँ, किया था । दादाश्री : तो आपको खुद का रीयलाइज तो करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? आपने किया है? कौन है आप ? प्रश्नकर्ता: मैं आत्मा हूँ। दादाश्री लेकिन अनुभव है आपको? : प्रश्नकर्ता: नहीं, अनुभव नहीं है। दादाश्री : तो ऐसा आप नहीं बोल सकते। अनुभव होना चाहिए। प्रश्नकर्ता: ये ही तो मुश्किल है, अनुभव। दादाश्री : अनुभव कराने के लिए कितने पैसे खर्च हो जाये तो ४६ चलेगा? आत्मबोध प्रश्नकर्ता: समझने में पैसों का सवाल नहीं आता। दादाश्री : नहीं आता न? तो पैसे का सवाल किसमें आता है? सिनेमा देखने में? सिनेमा देखने को तीन रुपये माँगता है न? और मूली का भी दस पैसा लेता है न? वो मूल्यवान बोली जाती है और ये अमूल्य है, इसका पैसा भी नहीं रहता। तो भगवान कितने फायदावाले (कृपालु) हैं? कोई परेशानी नहीं, कोई खर्च नहीं भगवान की प्राप्ति होना बहुत सरल बात है। हम ज्ञान नहीं देते हैं, वहाँ तक आत्मा और देह जोइन्ट रहते हैं, अलग नहीं होते है। हम ज्ञान देते है, तब आत्मा और देह अलग हो जाता है। प्रश्नकर्ता: हमको कैसे पता लगेगा कि अलग हो गये? दादाश्री : वो आपको खयाल में आ जायेगा कि 'मैं शुद्धात्मा हूँ' और वो याद नहीं करना पड़ेगा। ऐसे ही खयाल में आ जायेगा । आपको कोई बोले कि 'रवीन्द्र ने हमारा बुरा कर दिया है, ' तो आपको कुछ पज़ल होता है क्या ? प्रश्नकर्ता: पज़ल तो होगा न? दादाश्री : फिर सोल्यूशन कैसे होता है? फिर ऐसे ही पेंडिंग रहता है? The world is the puzzle itself, there are two view point to solve this puzzle, one Relative view point and one Real view point. ये पज़ल सोल्व हो जाये फिर आप खुद कौन हैं, वो मालूम हो जाता है। प्रश्नकर्ता : रीयल व्यू पोइंट और रिलेटिव व्यू पोइंट क्या है ?
SR No.009577
Book TitleAtmabodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages41
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size91 KB
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