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________________ आत्मबोध आत्मबोध प्रश्नकर्ता : 'I' को 'My' से सेपरेट कहाँ तक कर सकते हैं? जो रोज की जिंदगी है वह जिंदगी भी तो चलानी है, उसमें तो धंधा है, व्यवहार है, रिलेटिव है, माँ-बाप है। दादाश्री : वो छोड़ देने का नहीं है। वो तो आपकी समझ में रखने का कि This is not mine, This is not mine. औरत-लड़के सब रखने का, वो छोड़ देने की चीज नहीं है। वो तो रखने की चीज है। लेकिन समझ जाने का कि This is 'My' and not 'T'. इतना समझ जाने का। सब अलग रखने का। सब अलग रख दिया, फिर क्या रहेगा? प्रश्नकर्ता : कुछ नहीं रहेगा। दादाश्री : 'I' रहेगा! -My' चला गया, कि '1' रहेगा। वो ही भगवान है, वो ही कृष्ण है। जिधर 'My' नहीं, वहाँ '1' है, वो ही आत्मा है, वो ही परमात्मा है। अभी तो 'My' की चुंगल में आ गये है, इसलिए 'ये मेरा, ये मेरा, ये मेरा' करते हैं। हम लोनावाला गये थे। वहाँ हमको एक जर्मन 'कपल' मिला था। वो हमको बोलने लगा कि हमें God (भगवान) बता दो। हमने बोल दिया कि separate 'T' and 'My' with separator. जो बाकी रहता है, वो 'T' है और 'T' is God. लेकिन सेपरेटर का डीलर मैं हूँ। सेपरेटर के बिना सेपरेट नहीं हो सकेगा। तो सेपरेटर मेरे पास से ले जाना। सेपरेटर तो चाहिए न? आप कहाँ तक सेपरेट करते जायेंगे? माय माइन्ड, माय इन्टलेक्ट, माय ईगोइज्म वहाँ तक जायेंगे। लेकिन ईगोइजम से आगे कैसे जायेंगे? जहाँ तक स्थूल है, वहाँ तक आप जायेंगे। लेकिन इसके आगे सूक्ष्म है और सूक्ष्म से आगे कारण है, कॉज है। वो 'समझ' आप कहाँ से लायेंगे? वो तो हमारे पास है। T & 'My' का सेपरेशन किया तो 'T' is God ! लेकिन आप खुद से (अपने आप) पूरे सेपरेट नहीं हो सकेंगे। वो सेपरेट करने का काम 'ज्ञानी पुरुष' का ही है। वो हम आपको करवा देते हैं। कितने जन्मों से भटकते हैं लेकिन सच्ची बात नहीं जानी। किस पुस्तक में ऐसी बात बतायी है? और भगवान को तलाश करने के लिए कितनी पुस्तकें हैं?! और इतनी पुस्तकें पढ़कर भी किसी को भगवान नहीं मिले!!! पुस्तक तो क्या बताती है कि भगवान उत्तर में है और सब लोग दक्षिण में जाते है और बोलते हैं कि मैं भगवान की तलाश करने को जाता हूँ। बाहर से 'दुकान' सब चीज को बोल दिया कि this is 'My' तो समझ गया कि This is not'1'. फिर एक शरीर के लिए आया तो This is 'My', not 'I'. फिर 'I' की तलाश करो। हमने वो ही तलाश कर लिया। All these relatives are temporary adjustment. 'My' is temporary and 'T' is permanent. प्रश्नकर्ता : स्पीरीच्युअल वेल्डींग है और ये फिज़िकल वेल्डींग है याने यह शरीर और आत्मा, दोनों में कुछ कनेक्शन है? दादाश्री : कनेक्शन है ही। लेकिन दोनों अलग हैं। प्रश्नकर्ता : कैसे? दादाश्री : आप दोनों को सेपरेट कर सकते हैं। प्रश्नकर्ता : आपके पास ये सेपरेट करने की कोई टेकनिक है या गिफ्ट है? दादाश्री : गिफ्ट है, ये नेचरल गिफ्ट है। This is but natural. प्रश्नकर्ता : मुझे लगता है कि आपके पास कछ टेकनिक होनी चाहिए कि जिससे '1' और 'My' सेपरेट कर सके। दादाश्री : ये टेकनिक नहीं है, ये 'विज्ञान' है, ये 'प्रकाश' है।
SR No.009577
Book TitleAtmabodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages41
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size91 KB
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