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________________ आप्तवाणी - १ (पिघल) हो गए हैं। हम यह पज़ल सॉल्व करके बैठे हैं तथा परमात्मा पद की डिग्री प्राप्त की है। हमें यह चेतन और अचेतन दोनों भिन्न दिखते हैं। जिसे भिन्न नहीं दिखते वह खुद ही उसमें डिज़ोल्व हो गया है। क्रिएटर भगवान है नहीं, था नहीं और होगा नहीं। क्रिएटर का अर्थ क्या होता है ? क्रिएटर का अर्थ कुम्हार होता है, उसे तो मेहनत करनी पड़ती है। भगवान क्या कोई मेहनती होंगे? अहमदाबाद के ये सेठ लोग बिना मेहनत के चार-चार मिलों के मालिक बने फिरते हैं, फिर भगवान तो मेहनत करते होंगे? मेहनती यानी मजदूर। भगवान वैसा नहीं है। यदि भगवान सबको गढ़ने बैठता, तो सभी के चेहरे एक समान होने चाहिए। जैसे एक ही डाई से बने हों, मगर ऐसा नहीं है। यदि भगवान को निष्पक्ष कहें, तो फिर एक मनुष्य जन्म से ही फुटपाथ पर और दूसरा महल में क्यों? फिर यह सब किस प्रकार चल रहा है, इसका मैं आपको एक वाक्य में उत्तर देता हूँ, आप विस्तार से खोज लेना । यह संसार 'साइंटिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स' से चलता है। जिसे हम 'व्यवस्थित शक्ति' कहते हैं, जो सभी को व्यवस्थित ही रखती है ! चलानेवाला कोई बाप भी ऊपर नहीं बैठा है। सबेरे आप जागते हैं या जागना हो जाता है? प्रश्नकर्ता: वह तो मैं ही उठता हूँ न ? दादाश्री : कभी ऐसा नहीं होता कि सोना है फिर भी सो नहीं पाते? सुबह चार बजे जगना हो तब अलार्म क्यों लगाते हैं? निश्चय किया हो कि पाँच बजकर दस मिनट पर उठना हो, तो ठीक समय पर उठ ही जाना चाहिए, मगर ऐसा होता है क्या? 'व्यवस्थित' शक्ति खुद करता नहीं है, वहाँ आरोप करता है कि मैंने किया। इसे सिद्धांत कैसे कहें? यह तो विरोधाभास है। फिर कौन जगाता है आपको? आप्तवाणी - १ 'व्यवस्थित' नाम की शक्ति आपको जगाती है। यह सूर्य, चंद्र, तारे सभी 'व्यवस्थित' के नियम के आधार पर चलते हैं। ये मिलें सारी धुएँ के बादल छोड़ती ही रहती है और 'व्यवस्थित शक्ति' उसे बिखराकर वातावरण को स्वच्छ बना देती है और सब 'व्यवस्थित' कर देती है। यदि ऐसा नहीं होता, तो अहमदाबाद की जनता मारे घुटन के कब की मर गई होती। यह बरसात जो होती है, तो वहाँ ऊपर पानी बनाने कौन जाता है? वह तो नैचुरल एडजस्टमेन्ट होता है। दो 'एच' (हाईड्रोजन) और एक 'ओ (ओक्सीजन)' परमाणु इकट्ठे होते हैं और दूसरे कितने ही संयोग जैसे कि हवा आदि के मेल से पानी बनता है और बरसात के रूप में बरसता है। यह वैज्ञानिक क्या कहता है ? देख, मैं पानी बनाता हूँ। अरे ! मैं तुझे दो 'एच' के परमाणु के बजाय एक ही 'एच' का परमाणु देता हूँ, अब बना पानी । तब वह कहेगा, 'नहीं वैसे तो कैसे बन पाएगा?' अरे! तू भी इनमें से एक एविडेन्स है। तू क्या बनानेवाला है? इस संसार में कोई 'मेकर' (बनानेवाला) है ही नहीं, कोई कर्त्ता है ही नहीं, निमित्त हैं सभी। भगवान भी कर्त्ता नहीं हैं। कर्त्ता बने, तो भोक्ता बनना पड़ेगा न? भगवान तो ज्ञाता - दृष्टा और परमानंदी हैं। स्वयं के अपार सुख में ही मगन रहते हैं। ६ भगवान का एड्रेस भगवान कहाँ रहते होंगे? उनका एड्रेस क्या है? कभी खत वत लिखना चाहें तो? वे कौन से मुहल्ले में रहते हैं? उनका स्ट्रीट नंबर क्या है ? प्रश्नकर्ता : यह तो मालूम नहीं है, पर सभी कहते हैं, ऊपर रहते दादाश्री : सब कहते हैं, और आपने भी मान लिया? हमें पता लगाना चाहिए न ? देखिए मैं आपको भगवान का सही ठिकाना बताता हूँ। गॉड इज इन एवरी क्रीचर व्हेदर विजिबल और इनविजिबल (भगवान सभी जीवों में रहते हैं, फिर भले ही वे आँख से दिखनेवाले या न हैं।
SR No.009575
Book TitleAptavani 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages141
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size42 KB
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