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________________ आप्तवाणी-१ आप्तवाणी-१ प्रश्नकर्ता : आता है। दादाश्री : हाँ, तो आप खुद कौन हैं? इसके बारे में कभी सोचा है क्या? मोक्ष होता होगा या नहीं? प्रश्नकर्ता: मोक्ष तो है ही न? दादाश्री : यदि भगवान बनानेवाले हों और मोक्ष हो, तो वह संपूर्ण विरोधाभास है। प्रश्नकर्ता : नहीं। प्रश्नकर्ता : दादाजी, यह विरोधाभास कैसे? दादाश्री : यह घड़ी लाए, उसे रियलाइज़ करके (समझकर) लाए थे न कि ठीक है या नहीं? यह कपड़ा लाए थे, उसे भी रियलाइज़ करके लाए थे न? बीवी लाए उसे भी रियलाइज़ करके लाए थे न? प्रश्नकर्ता : हाँ, दादाजी। दादाश्री : तो फिर सेल्फ, खुद का ही रियलाइज़ेशन नहीं किया? ये सारी चीजें टेम्परेरी (विनाशी) होंगी या परमानेन्ट (अविनाशी)? ऑल दीज़ आर टेम्परेरी एडजस्टमेन्ट । खुद परमानेन्ट है और टेम्परेरी वस्तुओं से उसको गुणा करते हैं, फिर जवाब कहाँ से आएगा? अरे! तू गलत, तेरी रकम गलत, अब जवाब सही कैसे आएगा? सेल्फ रियलाइजेशन नहीं किया, यह छोटी गलती होगी या बड़ी? प्रश्नकर्ता : भयंकर बड़ी भूल! यह तो ब्लंडर कहलाएगा, दादाजी! ___ संसार सर्जन दादाश्री : इस संसार का सर्जन किस ने किया होगा? प्रश्नकर्ता : (मौन) दादाश्री : तेरी कल्पना में जो है सो बता दे। हम यहाँ क्या किसी को अनुत्तीर्ण करने बैठे हैं? प्रश्नकर्ता : भगवान ने बनाया होगा। दादाश्री : भगवान के कौन-से बच्चे कुँवारे रह गए थे, जो उन्हें यह सब बनाना पड़ा? वे शादीशुदा है या कुँवारे? उनका पता क्या है? दादाश्री : यदि भगवान ऊपरी हों और यदि वे ही मोक्ष में ले जाते हों, तो जब वे कहें कि उठ यहाँ से, तो आपको तुरंत उठना पड़ेगा। वह मोक्ष कैसे कहलाए? मोक्ष अर्थात संपूर्ण स्वतंत्रता। कोई ऊपरी नहीं और कोई अन्डरहैन्ड भी नहीं। संसार एक पहेली ये अंग्रेज भी कहते हैं कि गॉड इज़ दी क्रिएटर ऑफ दिस वर्ल्ड (भगवान इस संसार के रचयिता हैं) मुस्लिम भी कहते हैं कि अल्लाह ने बनाया। हिन्दू भी कहते हैं कि भगवान ने बनाया। यह उनके दृष्टिबिन्दु से सही है मगर फैक्ट से (हक़ीक़त में) गलत है। यदि तुझे फैक्ट जानना है, तो वह मैं तुझे बताऊँ। जो ३६० डिग्रीयों का स्वीकार करे, उसे ज्ञान कहते हैं। हम सभी ३६० डिग्रियों को मान्य करते हैं, इसलिए हम ज्ञानी हैं। क्योंकि हम सेन्टर में बैठे हैं और इस कारण से हम फैक्ट बता सकते हैं। फैक्ट यह है कि गॉड इज नॉट एट ऑल क्रिएटर ऑफ दिस वर्ल्ड। यह संसार किसी ने बनाया ही नहीं है। तो बना कैसे? 'दी वर्ल्ड इज द पज़ल इटसेल्फ' संसार अपने आपमें एक पहेली है। पजलसम हो गया है इसलिए पज़ल कहना पड़ता है। बाकी तो संसार अपने आप बना है। और यह हमने अपने ज्ञान में खुद देखा है। इस संसार का एक भी परमाणु ऐसा नहीं है कि जिसमें मैं विचरा नहीं हूँ। संसार में रहकर और उसके बाहर रहकर मैं यह कह रहा हूँ। यह पज़ल (पहेली) जो सॉल्व (हल) करे, उसे परमात्मा पद की डिग्री मिलती है और जो सॉल्व नहीं कर पाते वे पज़ल में डिज़ोल्व
SR No.009575
Book TitleAptavani 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages141
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size42 KB
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