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________________ [ 21 ] शिशुपालवध की कथावस्तु का आधार १/३ भारत और २/३ अन्यभाग ( भागवत, विष्णुपुराण ) कविवर माघ ने अपने महाकाव्य शिशुपालवध की कथावस्तु को महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा अन्य पुराणों के आधारपर ही प्रस्तुत किया है । काव्य की प्रधान घटना का मुख्य आधार महाभारतान्तर्गत सभापर्व की कथा (अध्याय ३३ से ४५ श्लोक १-३०) ही है । जिसमें राजस्ययज्ञ की प्रचण्ड तैयारी. श्रीकृष्ण की आज्ञा से युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ की दीक्षा लेना तथा राजाओं, ब्राह्मणों एवं सगे-सम्बन्धियों को बुलाने के लिये निमन्त्रण भेजना । यज्ञ में सब देशों के राजाओं, कौरवों तथा यादवों का आगमन और उनके भोजन-विश्राम आदि की व्यवस्था । राजसूय यज्ञ का वर्णन, भीष्मजी की आज्ञा से श्रीकृष्ण की अग्रपूजा, शिशुपाल के आक्षेपपूर्ण वचन । भीष्म और शिशुपाल का वाक्कलह और अन्त में शिशुपाल का श्रीकृष्ण के द्वारा वध आदि का वर्णन है । उपर्युक्त कथा शिशुपालवध-काव्य के १४ से २० सर्ग में आती है और प्रथम १ से १३ सर्ग तक की कथा पुराण ( भागवत व विष्णु ) के आधार पर है । शिशुपाल वध के १ से १३ सर्ग तक की कथा महाभारत में नहीं है । यही कथा प्रसङ्ग भागवत महापुराण में ( दशम स्कन्ध उत्तरार्ध अ० ७०-७३ ) वर्णित है, जिसमें शिशुपाल के स्थान पर जरासन्ध का उल्लेख है । प्रसङ्ग इस प्रकार है - जरासन्ध ने राजाओं को कारागृह में डाल दिया था, एक समय उन राजाओं का दूत श्रीकृष्ण के यहाँ आकर उनकी स्थिति भी कृष्ण से कहता है उसी समय नारद धर्मराज के राजसूययज्ञ का निमन्त्रण भी श्री कृष्ण को देते है । अत: श्री कृष्ण के सम्मुख दो समस्याएँ आती हैं - ( १ ) जरासन्ध का वध और (२) राजसूययज्ञ में उपस्थित होना । अतः श्रीकृष्ण केवल उद्धव से इस विषय में परामर्श लेते हैं, जिससे वे जान लेते हैं कि यज्ञ गमन में ही दोनों कार्यों की सिद्धि सम्भव है । अतः श्री कृष्ण यज्ञ में उपस्थित होने के लिये ससैन्य निकलते हैं और वन-उपवन और नदियों को पारकर हस्तिनापुर पहुँचते हैं । वहाँ पहुँचने पर ही जरासन्ध के वध का निश्चय होता है । और उसके वध के पश्चात् यज्ञ आरम्भ होता है । श्री कृष्ण सभा में ही शिशुपाल का वध करते हैं । इस प्रकार माघ के काव्य तथा भागवत की कथा में अधिकांश साम्य है । माघ ने विष्णु के अवतारों का उल्लेख करते समय भीष्म स्तुति में अन्य अवतारों के वर्णन में दत्तात्रेय का स्पष्ट उल्लेख किया है । उसके अतिरिक्त माघ ने भागवत के अनुसार ही वराहावतार से आरम्भ किया है । भागवत कथा के अतिरिक्त माघ ने अन्य पुराणों के अंशों को भी सम्मिलित किया है, जैसे प्रस्तुत काव्य के प्रथम सर्ग में शिशुपाल के दो पूर्वजन्मों का उल्लेख किया गया है, जो विष्णु पुराण के आधार पर वर्णित है - (विष्णु अंश ४ अ० १४-१५ )
SR No.009569
Book TitleShishupal vadha Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajanan Shastri Musalgavkar
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages231
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size63 MB
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