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________________ शिशुपालवधम् (नारदजी श्रीकृष्ण को कहते हैं कि अब उस रावणने नाटक के पात्र की तरह अपनी वेष-भूषा बदलकर अपना नाम शिशुपाल रक्खा है। यह वही रावण है, किन्तु देखने में उससे भिन्न ज्ञात होता है।) प्रसन्न-अप नारदजी श्रीकृष्ण को तीन श्लोकों (फ्र. ७०-७२ ) में शिशुपाल को दुष्टता को बतला रहे हैं स बाल आसीद्वपुषा चतुर्भुजो मुखेन पूर्णेन्दुनिभस्त्रिलोचनः ।। युवा कराक्रान्तमहीभृदुश्चकैरसंशयं सम्प्रति तेजसा रविः ।। ७० ॥ अर्थत द्दौजन्यं विभिराविष्करोति स याल इति ॥ स शिशुपालो बालः सन् वपुपा चतुर्भुजो भुजचतुष्टयवानासीत् । विष्णुरिति ध्वनिः । मुखेन पूर्णेन्दुनिभस्तत्तुल्यः त्रिलोचनो लोचनत्रयवानासीत् । स्यम्बक इति ध्वनिः । बालविशेषणात्सम्प्रति तत्सर्वमन्तहित मिति भावः । सम्प्रति तु युवा सन् करेण बलिना आक्रान्तमहीभृदधिष्ठित राजकः सन् अन्यत्रांशुव्याप्तशैलः । 'बलिहस्तांशवः कराः' इत्यमरः । उच्चस्तेजसा रविरसंशयम् । संशयो नास्तीत्यर्थः। अर्थाभावेऽव्ययीभावः । वपुषा मुखेन चेति 'येनाङ्गविकारः' ( २।३।२०) इति सृतीया, हानिवदाधिक्यस्यापि विकारत्वात् । तथा च वामनः'हानिवदाधिक्यमप्यङ्गविकारः' (५।२।२४ ) इति । तेजसेति 'प्रकृत्यादिभ्य उपसंख्यानम्' इति तृतीया । कराक्रान्तेत्यादिना श्लेषानुप्राणितेयमुत्प्रेक्षा । रविरसंशयमिति तस्य पूर्णेन्दुनिभ इत्युपमया संसृष्टिः । हरिहरादितुल्यमहिमत्वादतिदुर्धर्षः स इति भावः ॥ ७० ॥ ___ अन्वयः-सः वालः (सन् ) वपुषा चतुर्भुजः भासीत्, मुखेन पूर्णेन्दुनिभः त्रिलोचनः (आसीत् ) सम्प्रति युवा (सः) कराक्रान्तमहीमृत् उच्चकैः तेजसा असंशयं रविः (अस्ति) ॥ ७० ॥ हिन्दी अनुवाद-(मारदमुनिने भीकृष्ण से कहा कि ) यह शिशुपाल बाल्यावस्था में शरीर से चार भुजाओं वाला, (अर्थात् विष्णु के सहश था) मुख से पूर्ण चन्द्रमा के समान और तीन नेत्रों वाला था (अर्थात् शङ्करजी की तरह था) इस समय तारुण्यावस्था में वह करों ( हाथों, सूर्यपक्ष में किरणों) से राजाओं (सूर्यपत में, पर्वतों) को आक्रान्त करके तीन तेज से निःसन्देह सूर्य है ॥ ७० ॥ (अर्थात् वह अनेक देवमय है।) - विशेष-महाभारत के अनुसार शिशुपाल चेदि देशका राजा था। वह दमघोप का पुत्र तथा श्रीकृष्ण का मौसेरा भाई था। (महाभा. आदि. ६७-५, १८५. २३) इसके तीन नेत्र और चार हाथ थे। इसके रूप से डरकर माता-पिता ने इसे त्यागना चाहा, पर आकाशवाणी हुई कि उसे पालो । अतः इसका नाम शिशुपाल रखा गया।
SR No.009569
Book TitleShishupal vadha Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajanan Shastri Musalgavkar
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages231
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size63 MB
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