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________________ प्रथमः सर्गः २७ हिन्दी - अपने क्रीडाविलास की अंशमात्र मुसकान से चन्द्रमा को जीतनेवाले या निन्दायोग्य प्रमाणित करनेवाले तथा अपने अंशनेत्र से पद्म शोभा के जेता उसके मुख की उन दोनों ( चन्द्र और पद्म ) को जीत सकने वाले अन्य पदार्थ से शून्य जड़ चेतनमय संसार में और कोई उपमा नहीं थी । वे टिप्पणी- नल के मुख-नेत्र के साम्य में जगत् की दो ही वस्तुएँ रखी जा सकती थीं - चन्द्र और पद्म । दोनों तो उनके सौन्दर्य से पराजित हो गये, अतः अन्य उपमान के अभाव में राजा नल का मुख चराचर संसार में अप्रतिम ही रहा । अनुपम, अद्वितीय मुख के चन्द्र-पद्म-विजयी होने से निरुपम कहे जाने के आधार पर मल्लिनाथ ने यहाँ पदार्थहेतुक काव्यलिंग अलंकार माना है, किन्तु उपमानों के तिरस्कारकथन के आधार पर साहित्य विद्याधरीकार के अनुसार यहाँ प्रतीप अलंकार है ॥२३॥ सरोरुहं तस्य दृशैव तर्जितं जिताः स्मितेनैव विधोरपि श्रियः । कुतः परं भव्यमहो महोयसी तदाननस्योपमितौ दरिद्रता ॥ २४ ॥ जीवातु--उक्तार्थं भङ्गयन्तरेणाह — सरोरुहमिति । तस्य नलस्य ह नयनेनैव सरोरुहं पद्मं तर्जितं न्यक्कृतम् । स्मितेनैव विधोश्चन्द्रस्य श्रियः कान्तयः अपि जिताः तिरस्कृताः परम् अन्यत् आभ्यामिति शेषः भव्यं रम्यं वस्तु कुतः ? न कुत्राप्यस्तीत्यर्थः । अहो आश्र्चयं तस्य नलस्य यत् आननं मुखं तस्य उपमितौ तोलने महीयसी अतिमहती दरिद्रता अभावः अत्यन्ताभाव इत्यर्थः । सर्वथा निरुपममस्य मुख मित्याश्चर्यम् । अत्र वाक्यार्थहेतुकं काव्यलिङ्गमलङ्कारः ॥ २४ ॥ अन्वयः—– तस्य दृशा एव सरोरुहं जितं स्मितेन एव विधोः श्रियः अपि जिताः परं भव्यं कुतः ? अहो, तदाननस्य उपमितो महीयसी दरिद्रता ! हिन्दी - उसके नेत्र ने ही कमल-पद्म को जीत लिया, मंदस्मित ने ही चन्द्र की शोभाएँ भी जीत लीं। इन दोनों से सुन्दर और कहाँ कुछ है ? हाय, उसके मुख की उपमा देने में ( कविगण की । भारी दरिद्रता है ! टिप्पणी-पूर्वोक्त श्लोक के भाव को और चमत्कारी बनाते हुए कवि ने भङ्ग्यंतर से मुख- शोभा का वर्णन किया है, मुख के उपमानस्वरूप प्रसिद्ध पद्मचन्द्रमुखांश से ही विजित हैं, मुख की तुलना कैसे हो ?
SR No.009566
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorHarsh Mahakavi
AuthorSanadhya Shastri
PublisherKrishnadas Academy Varanasi
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size74 MB
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