SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नैषधमहाकाव्यम् वयसी शिशुतातदुत्तरे सुदृशि स्वाभिविधि विधित्सुनी। विधिनापि न रोमरेखया कृतसीम्नी प्रविभज्य रज्यतः॥ ३०॥ जीवातु-वयसी इति । सुदृशि दमयन्त्यां स्वाभिविधि स्वव्याप्ति विधित्सुनी विधातुमिच्छती अहमहमिकया स्वयमेवाक्रमितुमिच्छती इत्यर्थः शिशुतातदुत्तरे बाल्ययौवने वयसी विधिना सीमाभिज्ञेन रोमरेखया सीमाचिह्नन प्रविभज्य रोमराजेः प्रागेव अत्र शैशवेन स्थातव्यन्ततः परं यौवनेनेति कालतो विभागं कृत्वा, कृतसीम्नी कृतमर्याद अपि 'विभाषा ङिश्यो' रित्यल्लोपः, न रज्यतः न सन्तुष्यतः। रम्यवस्तु दुस्त्यजमिति भावः । एतेन वयःसन्धिरुक्तः । अत्र प्रस्तुतवयोविशेषसाम्यादप्रस्तुतविवादप्रतीतेः समासोक्तिरलङ्कारः ॥ ३० ॥ ___ अन्वयः-सुदृशि स्वामिविधि विधित्सुनी शिशुता तदुत्तरे वयसी विधिना रोमरेखया विभज्य कृतसीम्नी अपि न रज्यतः । हिन्दी--उस सुलोचना पर अपनी अभिव्याप्ति ( अधिकार ) रखने के इच्छुक बाल्य और यौवन आयु विधाता द्वारा रोमों की रेखा से विभाजन करके सीमाबद्ध किये जाने पर भी संतुष्ट नहीं है । टिप्पणी-वयःसंधि का वर्णन है। शिशता अभी पूर्णतः गयी नहीं, यौवन का आगमन हो रहा है, जिसके चिह्न रूप रोमराजि प्रकट हो गयो है। यही रोम-राजि जैसे शैशव-यौवन की विधि-निर्मित सीमा-रेखा ( मेढ़ ) है, पर जब-तक शैशव-यौवन 'दमयन्ती पर जितना सम्भव हो, अधिकार बना रखा जाय,' इस बात पर ( लोकजीवन की भांति ) झगड़ा करते रहते हैं । मल्लिनाथ ने प्रस्तुत शिव-यौवन के साम्य से अप्रस्तुत विवाद की प्रतीति होने के कारण यहाँ समासोक्ति मानी है, किन्तु विद्याधर के अनुसार यहाँ विशेषोक्ति है। काकु वक्रोक्ति मान कर 'कृतसीम्नी अपि न रज्यतः' का यह अर्थ भी सम्भव है कि दोनों आयु-सीमा निर्धारण हो जाने पर भी दमयन्ती पर अनुरक्त हैं और सीमा सम्बन्धी झगड़ा करते दो व्यक्तियों को भांति स्थित हैं ॥३०॥ अपि तद्वपुषि प्रसर्पतोर्गमिते कान्तिझरैरगाधताम्। स्मरयौवनयोः खलु द्वयोः प्लवकुम्भौ भवतः कुचावुभौ ॥ ३१ ॥
SR No.009566
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorHarsh Mahakavi
AuthorSanadhya Shastri
PublisherKrishnadas Academy Varanasi
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size74 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy