SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीयः सर्गः गोबर लिपे, ऐपन से चिह्नित शराब से नजर उतारी जाती है। मल्लिनाथ के अनुसार सावयव रूपक, विद्याधर के अनुसार रूपक और सम अलंकारयोग्यता के कारण योग की यदि सम्भावना हो तो सम होता है-'समं योग्यतया योगो यदि सम्भावितः क्वचित् ।' चंद्रकलाकार ने यहां सांगरूपक और असंबंध में सम्बन्ध कथन रूपा अतिशयोक्ति के संकर का निर्देश किया है ॥ २६ ॥ सुषमाविषये परीक्षणे निखिलं पद्ममभाजि तन्मुखात् । अधुनापि न भङ्गलक्षणं सलिलोन्मजनमुज्झति स्फुटम् ॥ २७ ॥ जीवातु-सुषमेति । सुषमा परमा शोभा सैव विषयः यस्मिन् परीक्षणे जलदिव्यशोधने कृते निखिलं पद्म पद्मजातं तन्मुखापादानात् भङ्गावधित्वादभाजि अभञ्जि स्वयमेव मग्नमभूदित्यर्थः, स्फुटं, कर्तरि लुङ्, 'भजेश्च चिणी'ति वैभाषिको नकारलोपः । अतएवाधुनापि भङ्गलक्षणम्पराजयचिह्न सलिलादुन्मज्जनं क्षणमपि नोज्झति न जहाति । जलदिव्योन्मज्जनस्य पराजयलिङ्गत्वस्मरणादिति भावः । उन्मज्जनक्रिया निमित्तेयं भङ्गोत्प्रेक्षा ।२७॥ अन्वयः-सुषमाविषये परीक्षणे निखिलं पद्म तन्मुखात् अमाजि, अधुना अपि मङ्गलक्षणं सलिलोन्मज्जनं न उज्झति स्फुटम् । हिन्दी--सौन्दर्य विषयक परीक्षा में समग्र कमल उसके मुख से पराजित हो गये, सो लगता है उसी पराजय-चिह्न-स्वरूप आज भी जल से ऊपर रहना नहीं छोड़ते। अथवा 'पद्म' पराजित हो 'अमाजि' अर्थात् टूट गये हैं, सो उसी 'भंग' ( टूटन ) के कारण आज भी 'स्फुट' अर्थात् छितरे हुए जल के ऊपर खड़े हैं। टिप्पणी-कवि संसार भर के कमलों से दमयन्तीमुख का सौन्दर्य श्रेष्ठ सिद्ध करना चाहता है, एतदथं यह कल्पना है। याज्ञवल्क्य स्मृति के व्यवहाराध्याय (२।९५-११३) में 'दिव्य' प्रकरण है, जिसके अनुसार 'जलदिव्य' में दमयंतीमुख और 'निखिल पद्मजात' के मध्य सौन्दर्य-श्रेष्ठता का परीक्षण हुआ। :समें होता यह है कि एक धनुर्घर द्वारा छोड़े बाण को लेकर जब-तक दूसरा दौड़ता हुआ आता है, तब-तक जो जल में डूबा खड़ा रहता है, वही विजयी
SR No.009566
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorHarsh Mahakavi
AuthorSanadhya Shastri
PublisherKrishnadas Academy Varanasi
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size74 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy