SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीव पदार्थ सामान्य १ जीव कौन, २. शरीर तथा जीव दो पदार्थ; ३. शरीर जड तथा जीव चेतन, ४. चेतनका वास्तविक स्वरूप; ५. अन्त करणका स्वरूप ६. जीवका स्वरूप, ७. जीवका आकार; ८. जीवका अमूर्तत्व, ९. जीवके प्रदेश, १० जीवका परिणाम; ११ जीवकी संकोच विस्तार शक्ति; १२. शरीर प्रमाण जीवकी सिद्धि; १३. जीवकी एकता तथा अनेकताका समन्वय, १४ जीवोकी गणना, १५. पुनर्जन्मकी सिद्धि; १६ ससार तथा मोक्ष । १. जीव कौन ? अहो चैतन्यधनका अतुल प्रकाश । जिसने प्रेरित करते हुए तथा चुटकियाँ भरते हुए इस गहन भोग-विलासके अन्धकारमे मुझे आज यह सौमाग्य प्रदान किया कि किंचित् मात्र अपनी महिमाके दर्शन पाकर मैं कृतार्थ हो सकूँ। धर्मकी जिज्ञासाके सारभूत शान्ति तथा उसकी प्राप्तिके लिए पदार्थ-विज्ञान सम्बन्धी सामान्य बातें जान लेनेके पश्चात् आज मेरे अन्दर यह जाननेकी जिज्ञासा जागृत हुई है कि मैं कौन हूँ जिसमे कि यह शान्तिकी पुकार उठ रही है, मै कहाँ रहता हूँ और कहाँसे आया हू, मुझे कहाँ जाना है और । क्या करना है । अर्थात् वास्तवमे चेतन या जीव क्या है ? आजके भौतिक युगमे यद्यपि मानवको अपनी ज्ञान वृद्धिपर
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy