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________________ ३ पदार्थ विशेष पीछे दौड़ते-दोड़ते तू अपने प्राण खो देता है, पर तेरी तृष्णा शान्त नही होती । अब इस पदार्थ-विज्ञानको पढकर सत् तथा असत्मे, नित्य तथा अनित्यमे, निज स्वरूप तथा मायामे भेद समझ, सत्को प्राप्त कर और मायाके पीछे दोडना छोड । यही है सच्चे तथा स्थायी सुख की प्राप्तिका उपाय । बस यही है इस विज्ञानको पढनेका प्रयोजन | ५१ अब इसी प्रयोजनकी सिद्धिके अर्थ चेतन तथा जड दोनो पदार्थोंका कुछ विस्तार के साथ विवेचन करता हुँ । उसे धैर्य तथा शान्तिके साथ पढ, युक्ति तथा तर्क द्वारा उसका मनन कर, और अनुभव द्वारा उसको खोजनेका प्रयत्न कर ।
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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