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________________ २०२ पदार्थ विज्ञान उत्तर दे सकती है। आज ऐसा लोहेका मनुष्य भी बनाया गया है जो दफ्तरोंके बाहर चपरासीके स्थानपर बैठाया जा सकता है। वह आदमी खडा होकर अतिथियोसे बात करता है उनसे पूछता है कि उन्हे किससे मिलना है स्वयं साथ जाकर उस अतिथिको उन बाबुकी मेज़पर पहुंचा देता है, और वापस आकर अपने स्थानपर बैठ जाता है। इसके अतिरिक्त भी अनेको मशीनें तथा बिना चालक के चलनेवाले वायुयान और स्पुत्निक ऐसे प्रतीत होते हैं, मानो इनमे कुछ चेतना भर दी गयी हो, परन्तु वास्तवमे ऐसा नही है, न ऐसा होना सम्भव है। इन पदार्थोंको देखकर भ्रममे नही पडना चाहिए। जो जाने-देखे उसे जीव या चेतन कहते हैं। जानना-देखना स्वत हुआ करता है। वह किन्ही कल-पुर्बोके आधीन नही है । जानना देखना उसे कहते हैं जो स्वतन्त्र रूपसे कुछ भी जान सके । उसपर कोई प्रतिबन्ध नही लगाया जा सकता कि इतना तो जानना, इससे आगे नही। ये सब वैज्ञानिक यन्त्र सीमित काम कर सकते हैं, जिस सीमाका उल्लघन करनेमे वे समर्थ नही हैं। लोहेका मनुष्य उतना ही काम कर सकता है और उतना ही बोल सकता है, जितना करने तथा बोलनेके लिए उसे बनाया गया है, उससे अधिक नही । इसी प्रकार अन्य यन्त्र भी। अतः वे चेतन या जीव नही हैं, सब अजीव हैं पुद्गल हैं। विज्ञानको प्रशसा अवश्य की जा सकती है, परन्तु इसका यह अर्थ नही कि उसके इस झूठे गर्वको भी सत्य मान लिया जाये कि वह जडको चेतना बना सकता है। आजका विज्ञान मुरदे जिलानेका प्रयत्न कर रहा है, तथा नये जीव भी पैदा करनेका प्रयत्न कर रहा है, परन्तु यह असम्भव है। उसने ट्यूबमें रज-वीर्य मिलाकर, बिना
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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