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________________ ८ पुद्गल-पदार्थ २०१ कहाँ चला जाता और जलसे पृथिवी बना दिया जानेपर उसमे गन्ध गुण कहाँसे आ जाता। क्योकि यह सिद्धान्त है कि पदार्थमे जितने गुण हैं उतने ही रहते है, घट-बढ़ नहीं सकते। यदि घट-बढ सकते होते तो जड पदार्थमे ज्ञान गुण बढाकर उसे चेतन बना दिया जाता, और चेतनमे-से ज्ञान गुण निकालकर उसे जड बना दिया जाता। अत सिद्ध है कि प्रत्येक पुद्गल स्कन्ध या परमाणुमे चारो गुण बरावर होते है। इसीलिए भिन्न-भिन्न जातिके परमाणु माननेकी कोई आवश्यकता नही। १३ आजके विज्ञानके चमत्कार भैया । पुद्गल पदार्थ जड ही है और जड हो रहेगा। यह वात ठीक है कि आजके विज्ञानने जगत्को अनेक चमत्कार दिखाये है। यह ठीक है कि उसने जगत्के सामने ऐसे पदार्थ बनाकर उपस्थित किये हैं, जिनसे साधारण वुद्धि भ्रममे पड गयी है। आजके विज्ञानका दावा है कि वह भौतिक पदार्थोमे भी चेतनत्व उत्पन्न कर सकता है, परन्तु यह उसका भ्रम है । जड पदार्थप चेतनत्व आ जाये यह तीन कालमे सम्भव नहीं । दोनो पृथक् जातिके पदार्थ है, दोनो सत् है। जैसा कि पहले 'द्रव्य सामान्य' में बताया जा चुका है, सत् बनाया नहीं जा सकता, वह स्वत होता है। विज्ञान द्वारा बनाये गये अनेको पदार्थ आज ऐसे हैं जिनमें साधारण लोगोको चेतनत्वका आभास होने लगता है अर्थात ऐना प्रतीत होने लगता है, मानो यह बुद्धिसे कोई काम कर नहा है, जानकर तथा देखकर काम कर रहा है। परन्तु यह केवल श्रम है जो विलकुल असम्भव है । दृष्टान्तके रूपमे नाज एक ऐसी मशीन बना दी गयी है जो गणितमको भांति अनेक रकमो या अकोको जोडकर मही-गही
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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