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________________ जीव पदार्थ विशेष १ जीव तथा चेतनमें अन्तर, २. अन्तःकरण तथा इन्द्रियोका सक्षिप्त रूप, ३ ससारी तथा मुक्त जीव, ४ इन्द्रियोकी अपेक्षा जीवके भेद, ५. मनकी अपेक्षा जीवके भेद, ६. घसस्थावरकी अपेक्षा जोवके भेद, ७ अस-स्थावर जीवोंमें जीवत्व की सिद्धि, ८ गतियोकी अपेक्षा जीवके भेद, ९ नरक तथा स्वर्गकी सिद्धि १०. कायकी अपेक्षा जीवके भेद, ११. सचार तथा निवामकी अपेक्षा जीवके भेद, १२ सूक्ष्म जन्तु विज्ञान, १३ चौरासी लाख योनि, १४. जीवोका उत्पत्ति क्रम, १५. अण्डेमें जीवकी सिद्धि, १६ मूक्ष्म जीवोकी उत्पत्ति, १७ जीवोका स्वभावचतुष्टय, १८ जीव पदाथका सक्षिप्त सार। १ जीव तथा चेतनमे अन्तर अहा हा ! कितना विचित्र और सुन्दर है चेतनका यह निविकल्प रूप। परन्तु अरे अरे । अनादिकालसे माया प्रपचमे उलझी हुई तेरी बुद्धि आज उसके दर्शन करनेमे समर्थ नही है । खेद | महाखेद ।। खैर कोई बात नही, अब भी कुछ नही बिगडा । भूला न जानिये जो साँझ पड़े घर लौट आये। एक बार पूर्ण विश्वासके साथ उस जीव पदार्थकी अनेक दृष्ट-विशेषताओको जान । फिर उन सर्व विशेषताओके अन्दर प्रवेश करके उस सामान्य-प्रकाशको खोजनेका प्रयत्न कर । यदि ऐसा किया तो इसमे तनिक भी सशयको अवकाश
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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